स्वीडन के वैज्ञानिक स्वांते पाबो (Svante Paabo) को इस साल मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. नोबेल पुरस्कार देने वाली संस्था ने सोमवार को ट्वि ट कर जानकारी दी कि साल 2022 के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो को दिया गया है. नोबेल समिति के सचिव थॉमस पर्लमैन ने स्वीडन के स्टॉकहोम में कैरोलिंस्का संस्थान में विजेता की घोषणा की. इस एलान के साथ ही करीब हफ्ते भर घोषित किए जाने वाले इस साल के नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हो गई.
स्वांते पाबो को ह्यूमन इवोल्यूशन पर खोज के लिए यह अवार्ड मिला है. दरअसल, स्वांते पाबो ने अपने रिसर्च में आधुनिक मनुष्यों और हमारे निकटतम विलुप्त हो चुकी प्रजातियों निएंडरथल (Neanderthals) और डेनिसोवन (Denisovans) के जीनोम की तुलना की. इस रिसर्च में ये दिखाया गया कि मनुष्य की अभी की प्रजातियों और इन विलुप्त हो चुकी प्रजातियों के बीच संबंध है. इंसानों में इन विलुप्त हो चुकी प्रजातियों के DNA का कुछ हिस्सा शामिल है.
कौन हैं स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो?
स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो को डीएनए हंटर भी कहा जाता है. उन्हें डीएनए हंटर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हजारों साल पहले विलुप्त हो चुके लोगों और आधुनिक मनुष्यों के बीच एक कड़ी का खुलासा किया है. इसके लिए उन्होंने एक पूरे निएंडरथल जीनोम की सिक्वेंसिंग की है. उन्होंने साइबेरिया की एक गुफा में पाई गई उंगली की हड्डी से निकाले गए डीएनए से डेनिसोवन नामक एक पूर्व अज्ञात मानव प्रजाति के अस्तित्व का भी खुलासा किया है.
कौन थी इंसानों की निएंडरथल और डेनिसोवन विलुप्त हो चुकी प्रजाति
निएंडरथल बहुत प्रारंभिक (पुरातन) इंसान थे जो लगभग 400,000 साल पहले यूरोप और पश्चिमी एशिया में रहते थे. ये लगभग 40,000 साल पहले विलुप्त हो गए थे. वहीं डेनिसोवन्स प्रारंभिक मनुष्यों की एक और आबादी है जो एशिया में रहते थी और निएंडरथल से दूर से संबंधित थी. हालांकि, विज्ञान में डेनिसोवन्स के बारे में बहुत कम जानकारी है. आधुनिक मानव, निएंडरथल और डेनिसोवन्स के संबंध का सटीक तरीका अभी भी अध्ययन के अधीन है. लेकिन शोध से पता चला है कि आधुनिक मनुष्यों ने निएंडरथल और डेनिसोवन आबादी के साथ कुछ टाइम के लिए ओवरलैप किया था और उनके साथ बच्चे (इंटरब्रेड) थे. नतीजतन, आज जो लोग जीवित हैं, उनमें भी इन विलुप्त हो चुकी प्रजाति के थोड़े से डीएनए मौजूद हैं.
करीब 30 साल पहले देखा था इस रिसर्च का सपना
द गार्जियन को 2014 में दिए अपने एक इंटरव्यू में 67 वर्षीय स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो कहते हैं, "जब मैंने 25 साल पहले इस फील्ड में अपना करियर शुरू किया तो मुझे लगा कि हम कुछ हजार साल पहले पैदा हुए लोगों की हड्डियों से डीएनए निकालने में सक्षम हो सकते हैं. इससे हम प्राचीन मिस्र के लोगों या यूरोप में कृषि का अविष्कार करने वाले लोगों के बारे में कुछ जान सकते हैं. यह सोचना तब मेरे लिए एक सपने की तरह था कि हम सैकड़ों हजारों साल पुराने जीनोम को फिर से जीवित कर सकते हैं.”
इस तरह हुई उनके करियर की शुरुआत?
दरअसल, किसी डेड टिश्यू से डीएनए निकालना अपने आप में काफी मुश्किल है. जब स्वांते पाबो ने ऐसा करने का सोचा तो उन्होंने सबसे पहले किताबों का सहारा लिया. हालांकि, किसी डेड टिश्यू से डीएनए निकालने की जानकारी उन्हें किताबों में नहीं मिली. इसलिए, 1981 की गर्मियों में, उन्होंने प्राचीन फोरेंसिक में अपना करियर शुरू किया. लेकिन अपने प्रोफेसर की नाराजगी से बचने के लिए उन्होंने अपने काम को गुप्त रखा. द गार्जियन को स्वांते पाबो बताते हैं, "मैंने लिवर का एक टुकड़ा खरीदा और इसे एक लैब ओवन में रखा, जिसे कई दिनों तक 50C तक गर्म किया गया. इस लिवर में से वे डीएनए निकालने में कामयाब रहे. और बस यहीं से उनके करियर की शुरुआत हुई.