इसरो ने कहा कि LVM3 M4 लॉन्च वाहन के क्रायोजेनिक ऊपरी हिस्से ने पृथ्वी के वायुमंडल में अनियंत्रित वापसी की है. यह यान का वो हिस्सा है जिसने इस साल 14 जुलाई को चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया था. यह बुधवार को 14:42 IST के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी. सितंबर में स्लीप मोड में गए लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अब तक सक्रिय नहीं हो सके हैं.
संभावित प्रभाव बिंदु की भविष्यवाणी उत्तरी प्रशांत महासागर पर की गई थी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक बयान में कहा, अंतिम ग्राउंड ट्रैक (किसी ग्रह की सतह पर किसी विमान या उपग्रह के प्रक्षेप पथ के ठीक नीचे का पथ) भारत के ऊपर से नहीं गुजरा. रॉकेट बॉडी का पुन: प्रवेश इसके प्रक्षेपण के 124 दिनों के भीतर हुआ. इसरो ने बताया कि यह ‘रॉकेट बॉडी' LVM3 M4 प्रक्षेपण यान का हिस्सा थी. बुधवार को यह अंतरराष्ट्रीय समयानुसार दोपहर दो बजकर 42 मिनट के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया.
चंद्रयान -3 के प्रक्षेपण के बाद, संयुक्त राष्ट्र और आईएडीसी द्वारा निर्धारित अंतरिक्ष मलबे शमन दिशानिर्देशों के मुताबिक अचानक होने वाले विस्फोटों के जोखिम को कम करने के लिए सभी अवशिष्ट प्रणोदक और ऊर्जा स्रोतों को हटाने के लिए ऊपरी चरण को भी "निष्क्रिय" किया गया था.
जब भारत ने रचा इतिहास
बता दें कि 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था. 23 अगस्त को इसके चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली थी. इस तरह भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा और साउथ पोल पर लैंडिग करने वाला पहला देश बन गया था.