हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्रमा को विशेष महत्व दिया गया है. इनसे जुड़ी हर गतिविधि को महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना चैत्र होता है. चैत्र में पूर्णिमा के दिन पिंक मून (Pink Moon) नजर आने वाला है. पिंक मून वाकई में पूरी तरह गुलाबी नहीं दिखता है बल्कि आम दिनों की तरह ही सिल्वर और गोल्डन रंग में नजर आता है.
पिंक मून को कई नामों से जाना जाता है. इसे सुपरमून, एग मून, फिश मून, स्प्राउटिंग ग्रास मून, फसह मून, पक पोया और फेस्टिवल मून के नाम से भी जाना जाता है. चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम भी कहते हैं.
क्यों दिखता है पिंक फुल मून
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के मुताबिक 1979 में सुपरमून पहली बार देखा गया था. उस समय एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे पेरीजीन फुल मून नाम दिया था. बाद में इसका नाम सुपरमून रखा गया. यह एक ऐसी खगोलीय घटना है, जिस दौरान चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है. इसके चलते चांद का आकार काफी बड़ा और चमकीला दिखाई देता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका आकार सामान्य की तुलना में करीब 14 फीसदी तक बढ़ जाता है और चमक 30 फीसदी तक ज्यादा होती है.जब चांद धरती के करीब हो और उसी समय पूर्णिमा हो तो पिंक फुल मून होता है. पिंक मून असल में पूरी तरह गुलाबी दिखाई नहीं देता है बल्कि यह आम चांद की तरह ही सिल्वर और गोल्डन रंग का नजर आता है.
कब दिखेगा पिंक मून
पिंक मून की टाइमिंग की बात करें तो इसकी शुरुआत चैत्र पूर्णिमा के दिन यानी 23 अप्रैल 2024 को सुबह 3 बजकर 25 मिनट से होगी. इसे आप अगले दिन 24 अप्रैल, दिन बुधवार को 5 बजकर 18 मिनट तक देख सकते हैं. इस मून को देखने के लिए आपको न तो कहीं जाने की जरूरत है न ही किसी खास चश्मे या लेंस की. आप इसे अपने घर की बालकनी या छत पर जाकर नंगी आंखों से ही देख सकते हैं.
इसका कोई नुकसान नहीं होता है. पिंक सुपरमून सिर्फ एक नाम है. इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है. इसका नाम अमेरिका और कनाडा में इस मौसम में खिलने वाले एक फूल पर रखा गया है. इस फूल का नाम फ्लॉक्स सुबुलाता है. इसे मॉस पिंक भी कहते हैं. इसके नाम पर ही इस सीजन में दिखने वाले सुपरमून को पिंक सुपरमून कहा गया है. इसका मतलब ये नहीं है कि चांद गुलाबी रंग का दिखेगा.