हमारे ब्रह्मांड में पृथ्वी से अलग भी कई ग्रह हैं. इन ग्रहों, आकाशीय पिंडों और विशाल ब्रह्मांड ने शुरुआत से ही इंसानों को काफी मोहित किया है. हम हमेशा जानते रहना चाहते हैं कि आखिर क्या दूसरे ग्रहों पर भी जीवन है? या वो दूसरा ग्रह पृथ्वी से किस तरह अलग है? शुरुआत से हुई रिसर्च के मुताबिक दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज अभी तक की नहीं गई है. हालांकि, सौर मंडल के अंदर और बाहर अनगिनत खगोलीय पिंड हैं जिन्हें हम ग्रह या प्लेनेट कहते हैं. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि ये ग्रह कब तक टिके रहेंगे? क्या वे अनंत काल तक ऐसे ही रहेंगे, या कभी खत्म या गायब भी होंगे?
कैसे मरते हैं ग्रह?
ग्रह कैसे मरते हैं इसको लेकर फ्रांसीसी वैज्ञानिक सीन रेमंड ने हाल ही में बताया है. सीन रेमंड के मुताबिक, स्पेस में अनगिनत ग्रह हैं. लेकिन ये समय-समय पर मरते रहते हैं. अगर कोई ग्रह अपने मूल तारे के बहुत करीब आ जाता है, तो तारे द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से वो ग्रह उसी में चला जाता है. यानी तारा उसे खा जाता है. इसके अलावा, आकाशीय पिंडों के साथ टकराने के कारण ग्रहों के नष्ट होने की संभावना भी ज्यादा हो जाती है.
ग्रहों के टकराने का खतरा
सीन रेमंड आगे मानते हैं कि अंतरिक्ष में केवल तारे और ग्रह ही नहीं होते हैं. बल्कि छोटे-छोटे पत्थरनुमा क्षुद्रग्रह भी होते हैं. जैसे-जैसे तारे विकसित होते हैं और उनका गुरुत्वाकर्षण खिंचाव कमजोर होता जाता है. ऐसे में वे पड़ोसी ग्रह से टकरा सकते हैं. जिससे छोटे चट्टानी ग्रह तो आसानी से खत्म हो सकते हैं या मर सकते हैं.
लेकिन सवाल पृथ्वी का भी उठता है. क्या धरती कभी मर सकती है? इसपर सीन रेमेड कहते हैं कि पृथ्वी को क्षुद्रग्रहों के प्रभाव के खतरे का सामना करना पड़ता है, साथ ही बृहस्पति या शनि जैसे विशाल ग्रहों के हमारे ग्रहों से टकराने की संभावना भी बढ़ जाती है. हालांकि, ऐसी प्रलयंकारी घटना लाखों सालों में भी होने की संभावना नहीं है.
पृथ्वी और सूरज का कनेक्शन
आखिर में सीन रेमंड पृथ्वी के बारे में कहते हैं कि पृथ्वी की नियति सूरज से जुड़ी हुई है. यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 4.5 अरब साल में, सूर्य एक विशाल लाल दानव में बदल जाएगा, जो हमारे ग्रह के विनाश का संकेत हो सकता है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी बताते है कि यह बदलाव पृथ्वी का आखिरी समय होगा. इस तरह, पृथ्वी के लिए उसका आखिरी समय उसके मूल तारे, सूरज से जुड़ा हुआ है.