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The Power of AI: डिप्रेशन से निपटने में AI कर सकता है मदद, हालात जानकर बता सकता है कैसा ट्रीटमेंट है जरूरी

कई स्टडीज कहती हैं कि हर इंसान अपनी जिंदगी में कम से कम एकबार तो डिप्रेशन का शिकार होता ही है. लेकिन अब एआई के ज्यादा सटीक ट्रीटमेंट से इसे ठीक किया जा सकता है. 

Depression Depression
हाइलाइट्स
  • डिप्रेशन के ट्रीटमेंट के तरीके ढूंढे जा रहे हैं 

  • 80% से ज्यादा की सटीकता से करता है भविष्यवाणी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब बीमारियों के निदान और उपचार के तरीके को बदलने वाला है. कुछ समय में ये डिप्रेशन से निपटने में भी लोगों की मदद करने वाला है. इस समय दुनिया की आबादी का करीब 20 फीसदी हिस्सा डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहा है. कई स्टडीज कहती हैं कि हर इंसान अपनी जिंदगी में कम से कम एकबार तो डिप्रेशन का शिकार होता ही है. लेकिन अब एआई के ज्यादा सटीक ट्रीटमेंट से इसे ठीक किया जा सकता है. 

डिप्रेशन के ट्रीटमेंट के तरीके ढूंढे जा रहे हैं 

दरअसल, अपने अलग-अलग लक्षणों और ट्रीटमेंट के कम तरीके होने की वजह से डिप्रेशन के बारे में पता करना अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. नॉर्मल डॉक्टर अक्सर डिप्रेशन का पता नहीं कर पाते हैं. आधे से ज्यादा मामलों में वे इसे डाइग्नोस ही नहीं कर पाते हैं. सभी के लिए एक जैसा ट्रीटमेंट होने की वजह से इसे ठीक करना और भी मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि अब इसके बारे में पता करने के लिए नए तरीके ढूंढे जा रहे हैं. 

एआई कैसे करता है मदद?

एआई, विशेष रूप से मशीन लर्निंग, का उद्देश्य कंप्यूटर को इंसानों जैसे व्यवहार से भरना है. इसका मतलब है कि जिस तरह से कोई भी इंसान किसी परिस्थिति में रिएक्ट करता है ठीक ऐसा ही कंप्यूटर को बनाना है.  कंप्यूटर में सीखने, तर्क करने और सेल्फ करेक्शन जैसी चीजें भी डाली जाएंगी. हाल के शोध ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, जो दिखाता है कि ChatGPT जैसे AI मॉडल क्लीनिकल गाइडलाइन को देखकर निर्णय दे सकते हैं. ठीक ऐसा ही जैसे डॉक्टर्स ट्रीटमेंट बताते है AI भी वैसे ही ट्रीटमेंट बता सकता है. 

80% से ज्यादा की सटीकता से करता है भविष्यवाणी

स्टडी के अनुसार, एडवांस एआई मॉडल, एमआरआई डेटा के साथ मिलकर, डिप्रेशन की भविष्यवाणी में 80% से ज्यादा की सटीकता से करता है. ब्रेन इमेजिंग तकनीक के साथ ये सटीकता 93% से भी ज्यादा हो जाती है. 

अभी की बात करें, तो लोग कई बार स्मार्टवॉच जैसे डिवाइस से भी इसका पता लगा लेते हैं. इसके अलावा, सोशल मीडिया भी इसका एक सोर्स बन गया है क्योंकि एआई 90% तक सफलता दर के साथ डिप्रेशन की भविष्यवाणी करने के लिए भाषा के उपयोग और सामुदायिक सदस्यता का विश्लेषण कर सकता है.