पांडा को लेकर वैज्ञानिकों के रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है. जीवाश्म वैज्ञानिकों ने 60 से 70 लाख साल पुराने जीवाश्म पर रिसर्च किया. जिससे पता चला कि पुराने समय में भी पांडा में आधुनिक पांडा की तरह हड्डी का पोर था, जिसका इस्तेमाल वो बांस को खाने लायक बनाने में करते थे. आधुनिक पांडा में भी अंगूठा नहीं पाया जाता है. उनकी कलाई की हड्डी से एक पोर निकला होता है, जिसका इस्तेमाल वो अंगूठे की तरह करते हैं.
पहले ज्यादा विकसित था पोर-
पांडा जब बांस पकड़ते हैं तो वो कलाई की बढ़ी हुई हड्डी का इस्तेमाल करते हैं. आपको बता दें कि पांडा में अंगूठा विकसित ही नहीं हुआ है. अंगूठे की जगह कलाई की एक हड्डी निकली होती है. वैज्ञानिकों ने शोध में खुलासा किया है कि 60 से 70 लाख साल पहले इस हड्डी का विकास हुआ था. लेकिन ये पोर उस वक्त बड़ा होता था. हालांकि आज के पांडा में ये पोर और भी छोटा हो गया है.
रिसर्च में बड़ा खुलासा-
पांडा में जो कलाई की हड्डी विकसित हुई है. उसे रेडियल सीजमॉइड कहते हैं. इसे फॉल्स थंब भी कहते हैं. पांडा भालू परिवार के जानवर हैं. लेकिन ये मांसाहारी नहीं, शाकाहारी होते हैं. इनका भोजन पूरी तरह से बांस होता है. पांडा पर रिसर्च साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई है. लॉस एंजेलिस काउंटी के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की वेर्टिबरेट पेलियोएंटोलॉजी के क्यूरेटर जिआओमिंग वांग और उनके साथियों ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. इस रिसर्च के मुताबिक पुरातन काल में भी पांडा,में हड्डी का पोर होता था. लेकिन वो आज की तुलना में बड़ा होता था.
कम विकसित अंगूठा क्यों-
वैज्ञानिक वांग ने बताया कि धीरे-धीरे विशाल पांडा ने अपनी खुराक मांस और बेर की जगह बांस कर लिया. बांस उस उपउष्णकटिबंधीय जंगलों में मिलता है. बांस की टहनियों को खाने लायक बनाने के लिए मजबूती से पकड़ना सबसे अहम अनुकूलन प्रक्रिया थी. इससे ये समझा जा सकता है कि पांडा का ये विशेष तरह का अंगूठा इतना कम विकसित क्यों था.
चीन में मिले जीवाश्म से खुलासा-
आधुनिक पांडा को एलूरोपोडा मेलानोलेयूसा कहा जाता है. जिनमें 100 साल से भी ज्यादा समय से इस खास अंगूठे के बारे में पता है. लेकिन इसके विकास को लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं थी. लेकिन चीन के युनान प्रांत के झाओटोंग शहर के शिउइटांगबा साइट वैज्ञानिकों को पुरातन पांडा एलूराकोर्टोस के पोर के जीवाश्म मिले हैं. इसके रिसर्च से खुलासा हुआ कि पुरातन पांडा बांस का भोजन करते थे.
आधुनिक पांडा का पोर छोटा और मुड़ा हुआ है. लेकिन रिसर्च में पता चला है कि पुरातन पांडा का पोर लंबा और सीधा था. दरअसल पांडा खाने के साथ चलने के लिए भी हाथ का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए अंगूठा विकसित नहीं हो सका. रिसर्च टीम को लगता है कि आधुनिक पांडा में विकसित फॉल्स अंगूठा उनके उद्भव के लिए किया समझौता है.
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