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अब पता लगेगा कैसे बनाता है हमारा दिमाग यादें, वैज्ञानिकों ने खोज निकाली दो ब्रेन सेल

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ में अमेरिकन रिसर्चर्स ने ऐसी दो टाइप की ब्रेन सेल का पता लगाया है, जो हमारे दिमाग में यादों के बनने के प्रोसेस के जुड़ी हुई हैं. इनकी मदद से किसी भी इंसान के दिमाग में यादें कैसे बनती है इसका पता लगाया जा सकेगा.

 हमारा दिमाग कैसे बनाता है यादें हमारा दिमाग कैसे बनाता है यादें
हाइलाइट्स
  • स्टडी में किया गया 19 लोगों को शामिल 

  • मेमोरी डिसऑर्डर वाली बीमारियों से लड़ने में मिलेगी मदद 

आपको 2004 में आई हॉलीवुड मूवी ‘इटरनल सनशाइन ऑफ द स्पॉटलेस माइंड’ याद है? जिसमें फिल्माया गया था कि किस तरह से एक प्रेमी जोड़ा अपने रिश्ते की कड़वी यादों को दिमाग से हमेशा के लिए मिटा देता है और फिर वो दोनों अपनी एक नई जिंदगी शुरू करते हैं. ऐसे ही हॉलीवुड सीरीज ‘मेन इन ब्लैक’, ‘द इनक्रेडिबल्स-2’ और ‘फ्रोजन’ जैसी मूवीज में यादों के साथ छेड़छाड़ दिखाई गई है. अब ऐसा असल जिंदगी में मुमकिन है या नहीं इसका जवाब तो अभी तक मेडिकल की दुनिया को नहीं मिल पाया है लेकिन हमें इतना जरूर पता चल गया है कि ये यादें हमारे दिमाग में आखिर कैसे बनती हैं?

अब नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ में अमेरिकन रिसर्चर्स ने ऐसी दो टाइप की ब्रेन सेल का पता लगाया है, जो हमारे दिमाग में यादों के बनने के प्रोसेस के जुड़ी हुई हैं. इनकी मदद से किसी भी इंसान के दिमाग में यादें कैसे बनती है इसका पता लगाया जा सकेगा. 

स्टडी में किया गया 19 लोगों को शामिल 

इस स्टडी में 19 लोगों किया गया था. जिनमें यह पहचाना गया कि आखिर किसी भी इंसान के दिमाग के न्यूरॉन्स किस तरह काम करते हैं. रिसर्च के दौरान सभी लोगों के ब्रेन में इलेक्ट्रोड को सर्जिकल तरीके से डाला गया, जिसमें उनके न्यूरॉन के मूवमेंट को परखा गया. इस दौरान उन सभी 19 लोगों को उनकी जिंदगियों से जुड़ी कुछ फिल्म दिखाई गई. इस दौरान शोधार्थियों को 2 सेल के ग्रुप दिखे. एक बाउंड्री सेल और दूसरी इवेंट सेल. स्टडी के दौरान पाया गया कि जब लोगों को फिल्म क्लिप दिखाई गई तब उनके दिमाग में बाउंड्री सेल और इवेंट सेल का मूवमेंट दिमाग की सॉफ्ट बाउंड्री और हार्ड बाउंड्री के आसपास बढ़ गया.

मेमोरी डिसऑर्डर वाली बीमारियों से लड़ने में मिलेगी मदद 
 
दरअसल, रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली ज्यादातर घटनाएं हमारे दिमाग में यादों के रूप में इकट्ठी होती रहती हैं. कुछ अच्छी होती हैं तो कुछ बुरी. रिसर्च में जिन दो सेल को खोजा गया है वो इन्हीं यादों को बनाने, सहेजने और स्टोर करने का काम करती हैं. बता दें, ये रिसर्च नेचर न्यूरोसाइंस में पब्लिश हुई है. इसकी मदद से हम आसानी से अल्जाइमर और मेमोरी डिसऑर्डर वाली बीमारियों से लड़ सकेंगे.  

स्टडी के सीनियर ऑथर रूतीशोशर कहते हैं कि मेडिकल की दुनिया में मेमोरी डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से हम इसलिए नहीं लड़ पाते हैं क्योंकि हमें अभी भी नहीं पता है कि हमारा मेमोरी सिस्टम आखिर किस तरह काम करता है.