शोधकर्ताओं की एक टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर एक शोध किया है. शोधकर्ताओं ने लैब में AI बेस्ड मानव मस्तिष्क को डेवलप किया है. जिसका इस्तेमाल उन्होंने गणित के बेसिक समीकरण को हल किया. जिसे उसे आसानी से हल भी कर दिया. इस शोध के परिणाम आने के बाद शोधकर्ताओं ने बताया कि एआई के लिए असली मस्तिष्क की कोशिकाओं का इस्तेमाल करने में गंभीर एथिकल समस्याएं हो सकती है. शोधकर्ताओं को इस शोध को करीब 15 महीनों में पूरा किया है.
AI बेस्ड मानव मस्तिष्क का नाम Brainoware
इस शोध को इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन में फेंग गुओ के नेतृत्व में एक टीम ने किया. लैब में डेवलप किए गए AI बेस्ड मानव मस्तिष्क का नाम Brainoware रखा है. जिसका इस्तेमाल आगे चलकर सिलिकॉन बेस्ड कंप्यूटर की जगह ले सकता है. जो कम बिजली की खपत करेगा. इसे इस तरह से समक्ष सकते हैं कि एक ह्यूमन ब्रेन 20 वॉट बिजली की खपत करता है तो वहीं AI बेस्ड 5000 वॉट पावर की खपत करता है.
बढ़ जाएगी बिजली खपत
इसे इस तरह से भी समक्ष सकते हैं कि सेल्फ-ड्राइविंग कारों में पारंपरिक कारों की तुलना में 20% अधिक ऊर्जा का उपयोग करने का अनुमान है.इसी तरह अगर सेल्फ ड्राइविंग कार और हवाई जहाज एआई के जरिए चलने लगे, साथ ही सैनिकों और जजों को एआई से बदल दिया जाता है, तो बिजली की खपत अभी के मुकाबले काफी बहुत बढ़ जाएगी.
मानव कोशिकाओं की छोटी वॉल्व में कोई रक्त वाहिकाएं नहीं होती हैं, इसलिए वे एक निश्चित आकार से आगे नहीं बढ़ सकते हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि छोटे दिमाग अभी भी एक पेचिंदा गणितीय समीकरण को हल करने में कामयाब रहे हैं जिसे हेनन मैप कहा जाता है.