शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक अध्ययन में पता लगाया है कि कैंसर सेल्स को आखिरकार प्रोटीन की जरूरत क्यों होती है. जिसकी मदद से वह कॉपर आयनों को विकसित और पूरे शरीर में फैलने से रोकते है. इसके साथ ही इस शोध में यह भी पता चला है कि वे कैंसर से संबंधित प्रोटीन में धातुओं को किस तरह से कनेक्ट करते हैं.
जैविक कार्यों के जरूरी मेटल कॉपर की जरूरत
शोध के मुताबिक हमारे शरीर सेस्स के जरिए जैविक कार्यों को करने के लिए मेटल कॉपर की जरूरत होती है. अध्ययन में पता चला है कि कैंसर सेल्स को ठीक सेस्स की तुलना में अधिक कॉपर की जरूरत होती है. इसके साथ ही कॉपर-बाइंडिंग प्रोटीन अधिक सक्रिय होते हैं जब कॉपर का स्तर अधिक होता है.
इस कारण में होती कैंसर में अधिकांश मौतें
स्वीडन के चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में केमिकल बायोलॉजी के प्रोफेसर पर्निला विटंग-स्टाफशेड ने बताया कि कैंसर के विकास को समझने की बात आती है तो उनके बारे में गहन ज्ञान बीमारी के इलाज के लिए नए लक्ष्य पैदा कर सकता है. साथ ही बताया कि अधिकांश कैंसर से मौत इस कारण होती है कि मेटास्टेस यानी ट्यूमर कोशिकाएं शरीर के कई स्थानों पर बनती है. ये पूरे शरीर में Memo1 नामक एक प्रोटीन सिग्नलिंग सिस्टम के तहत फैलती हैं. वहीं एक शोध में पता चला है कि जब मेमो 1 के लिए जीन स्तन कैंसर कोशिकाओं में निष्क्रिय होता है, तो मेटास्टेस बनाने की उनकी क्षमता कम हो जाती है.
शोध में निकला ये नतीजा
शोधकर्ता चाल्मर्स ने बताया कि एक सीरीज के जरिए मेमो 1 प्रोटीन को कॉपर के साथ वाइंड करने की कोशिश किया गया. जिसमें पाया गया कि प्रोटीन तांबे को बांध देता है, लेकिन वह काफी कम हिस्से को ही बनाने में कामयाब रहता है. वहीं जब मेमो 1 को कॉपर के साथ मिलाया गया तो जहरीली रेडॉक्स प्रतिक्रिया अवरुद्ध हो गईं. इस अध्ययन में शामिल वैज्ञानिक पर्निल्ला विटुंग-स्टैफ़शेड ने बताया कि यह ट्यूमर के लिए बहुत सारे कॉपर पर निर्भर करता है क्योकि यह उन रासायनिक प्रतिक्रियाओं को एक्टिव करता है जो कैंसर सेल्स के लिए हानिकारक है. इसके साथ ही इस शोध में यह भी पता चला है कि कॉपर-बाइंडिंग प्रोटीन - Atox1 के साथ एक कॉम्प्लेक्स बना सकता है. इस नए अध्ययन से जिस तरह के निष्कर्ष निकले है उन्हें देखते माना जा रहा है कि भविष्य में कैंसर के इलाज के लिए कॉपर और कॉपर-बाध्यकारी प्रोटीन कारगर हो सकता है.