फैटी लिवर के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. अब इसी से निजात पाने के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (NAFLD) को टारगेट करने वाली पहली दवा को मंजूरी दे दी है. मैड्रिगल फार्मास्यूटिकल्स की रेजडिफ्रा, जिसे रेस्मेटिरोम के नाम से भी जाना जाता है, काफी प्रभावी है. इस दवाई ने नॉन-अल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) के रोगियों में लीवर के घावों में सुधार करने में अच्छा प्रदर्शन किया है.
ये है एक गंभीर बीमारी
अमेरिका में अनुमानित 60 से 80 लाख व्यक्तियों को एक जैसी बीमारियां प्रभावित करती हैं. इनमें हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा और ब्लड में फैट जैसी बीमारियां शामिल हैं. दरअसल, NASH वाले मरीजों के लिए पहले से कोई ऐसी दवाई नहीं है जो इस बीमारी को टारगेट करती हो. रेजडिफ्रा की मदद से रोगियों को उनकी डाइट और एक्सरसाइज के अलावा भी एक बेहतर ट्रीटमेंट ऑप्शन मिल सकेगा.
NASH और उसके प्रभाव को समझना
जब लिवर के आसपास फैट जम जाता है तब ये बीमारी होती है. इससे फिर सूजन और लिवर सेल को नुकसान पहुंचता है. एनएएसएच के लक्षणों में कमजोरी, थकान, स्किन या आंखों का पीला पड़ना, ब्लड वेसल मकड़ी जैसी हो जाना आदि शामिल हैं. अगर इसमें सही टाइम पर ट्रीटमेंट न मिले, तो एनएएसएच सिरोसिस में बदल सकता है. ये लिवर खराब होने की सबसे खतरनाक स्टेज है. इससे आखिर में लीवर फेल हो जाता है और ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है.
रेजडिफ्रा कैसे काम करती है?
रेजडिफ्रा एक ओरल दवा है. ये NASH के जितने भी कारण होते हैं उन्हें टारगेट करती है. ट्रायल में सामने आया है कि इसका रेस्मेटिरोम मॉलिक्यूल, लिवर के घावों को प्रभावी ढंग से ठीक करने के काम करता है. इसके लिए सबसे पहले 966 लोगों को स्टडी में शामिल किया गया. 12 महीनों तक इन लोगों की लिवर बायोप्सी की गई. इस बायोप्सी से पता चला कि रेजडिफ्रा से इलाज कराने वाले व्यक्तियों की स्थिति में सुधार हुआ है, बजाय उनके जिन्होंने प्लेसबो दिया गया था. रेजडिफ्रा वाले लोगों के लिवर के घावों में सुधार हुआ है. ये आशाजनक परिणाम फरवरी में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए थे.
भविष्य में काफी लोगों की हो सकेगी मदद
इस ड्रग पर पिछले 15 साल से ज्यादा समय से टेस्ट और स्टडी चल रही है. ऐसे में मैड्रिगल फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ बिल सिबोल्ड ने भी रेजडिफ्रा को एफडीए की त्वरित मंजूरी की सराहना की. उन्होंने इस ट्रीटमेंट को विकसित करने का श्रेय डॉ. बेकी ताउब और R&D टीम को दिया है. इस ड्रग की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी में आशा की किरण आ सकती है.