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इंसानों के Space में जाने का रास्ता खोलेगा Robot! Astronaut की तरह करेगा काम, अब Vyommitra की खोपड़ी का डिजाइन भी हुआ तैयार

स्पेस मिशनों में, ह्यूमनॉइड रोबोट काफी उपयोगी होते हैं. वे उन सभी खतरनाक काम में एस्ट्रोनॉट की मदद करते हैं जो खुद स्पेस यात्री नहीं कर सकते हैं. जैसे कि सौर पैनलों की सफाई करना या स्पेसक्राफ्ट के बाहर के इक्विपमेंट्स की मरम्मत करना.

Vyommitra Vyommitra
हाइलाइट्स
  • इसरो ने की व्योममित्र की खोपड़ी डिजाइन

  • काफी मजबूत है खोपड़ी

इसरो अपने गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है. यह मिशन बिना किसी क्रू के होने वाला है. यानी इसमें कोई एस्ट्रोनॉट नहीं होगा. इसमें केवल केवल एक रोबोट को भेजा जाएगा. व्योममित्र नाम की एक ह्यूमनॉइड को इसमें भेजा जाएगा. व्योममित्र को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह ठीक इंसानों की तरह ही बर्ताव करे. इस अनोखे रोबोट की खोपड़ी भी डिजाइन की जा चुकी है. 

ह्यूमनॉइड क्या हैं?
व्योममित्र इंसानों की तरह दिखने वाले रोबोट हैं. व्योममित्र का एक चेहरा, हाथ, एक धड़ और एक गर्दन भी है. इससे ये वो सब कर सकेगी जो इंसान करते हैं. इन रोबोटों को ऑटोमेटिक रूप से काम करने के लिए बनाया गया है. यानी आपकी बिना किसी कमांड के ये रोबोट खुद फैसले ले सकेगा. 

स्पेस मिशनों में, ह्यूमनॉइड रोबोट काफी उपयोगी होते हैं. वे उन सभी खतरनाक काम में एस्ट्रोनॉट की मदद करते हैं जो खुद स्पेस यात्री नहीं कर सकते हैं. जैसे कि सौर पैनलों की सफाई करना या स्पेसक्राफ्ट के बाहर के इक्विपमेंट्स की मरम्मत करना. ये काम करके, ह्यूमनॉइड एस्ट्रोनॉट को जान के जोखिम से बचाते हैं. 

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ISRO स्पेस में ह्यूमनॉइड क्यों भेज रहा है?
2025 में गगनयान मिशन लॉन्च होने वाला है. ISRO स्पेस में इंसानों को भेजने से पहले व्योममित्र की क्षमताओं का परीक्षण करना चाहता है. इस मिशन के दौरान, व्योममित्र अंतरिक्ष यान के अंदर क्रू कंसोल पर अलग-अलग ऑपरेशन करने के लिए अपनी रोबोटिक क्षमताओं का इस्तेमाल करेगी. व्योममित्र क्रू मॉड्यूल के अंदर भी अलग-अलग सिस्टम की निगरानी भी करेगी और पृथ्वी पर मिशन कंट्रोल टीम के साथ बातचीत भी करेगी. 

इसरो ने की व्योममित्र की खोपड़ी डिजाइन
व्योममित्र की सबसे जरूरी चीजों में से एक उसकी खोपड़ी है. इसे हाल ही में केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में डिजाइन किया गया था. इस स्कल या खोपड़ी में रोबोट के सभी जरूरी  कंपोनेंट्स रखे गए हैं. 

खोपड़ी AlSi10Mg नाम के एल्युमिनियम एलॉय से बनी है. इस मटेरियल को कई कारणों से चुना गया था. यह काफी लचीली, हल्की, हीट रेसिस्टेंट है और इसमें बेहतरीन मैकेनिकल गुण हैं. AlSi10Mg का उपयोग आमतौर पर इसकी मजबूती और स्थायित्व के कारण ऑटोमोटिव इंजन और एयरोस्पेस घटकों को बनाने में किया जाता है.

काफी मजबूत है खोपड़ी
रॉकेट लॉन्च के दौरान स्पेसक्राफ्ट में काफी कंपन पैदा होती है. व्योममित्र की खोपड़ी में इस भार को झेलने की क्षमता है. व्योममित्र की खोपड़ी काफी ज्यादा मजबूत है. 

खोपड़ी को मजबूत और हल्की दोनों तरह से डिजाइन किया गया है, जिसका वजन केवल 800 ग्राम है और माप 200 मिमी x 200 मिमी है. इसकी वजह है कि पेलोड जितना भारी होगा, उसे स्पेस में लॉन्च करने के लिए उतने ही ज्यादा फ्यूल की जरूरत और रॉकेट को उतना ही बड़ा होना चाहिए. ऐसे में इसे काफी हल्का बनाया गया है.   

व्योममित्र की खोपड़ी कैसे बनाई गई?
खोपड़ी को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (AM) नामक तकनीक का उपयोग करके बनाया गया था, जिसे आमतौर पर 3D प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है. 

स्पेसक्राफ्ट या उसके घटक जितने भारी होते हैं, उसे स्पेस में लॉन्च करने के लिए उतने ही ज्यादा फ्यूल की जरूरत होती है. यही कारण है कि इंजीनियर और वैज्ञानिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए पेलोड बनाते समय हल्के पदार्थों का उपयोग करने को प्राथमिकता देते हैं. पेलोड को हल्का रखकर, फ्यूल की मात्रा को कम कर सकते हैं. इससे मिशन की लागत में कमी आएगी.