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Russia Luna-25 Crashed: रूस का मून मिशन फेल, चांद की सतह से टकराकर क्रैश हुआ लूना-25, जानें एजेंसी ने क्या बताई दुर्घटना की वजह

Luna-25 में 19 अगस्त को एक बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी और यह 20 अगस्त 2023 को चांद की सतह से टकराकर क्रैस हो गया. इसके साथ ही रूस का सपना भी चकनाचूर हो गया है. Luna-25 को लेकर दावा किया जा रहा था कि वह Chandrayaan-3 से पहले चांद पर लैंड करेगा. 

रूस का मून मिशन Luna-25 फेल रूस का मून मिशन Luna-25 फेल
हाइलाइट्स
  • सोमवार को चंद्रमा पर लैंडिंग की तैयारी में लगा था रूस 

  • लूना-25 प्रपोल्‍शन मैनूवर के समय चंद्रमा की सतह से टकराया

रूस के चंद्रमा मिशन को बड़ा झटका लगा है. सोमवार को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की तैयारी में लगा इसका स्‍पेसक्राफ्ट लूना-25 क्रैश हो गया. रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्‍कोस्‍मोस ने इसकी पुष्टि की है. एजेंसी ने बताया कि लूना-25 अंतरिक्ष यान अनियंत्रित कक्षा में घूमने के बाद चंद्रमा से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. 

ऑर्बिट बदलते वक्त आ गई थी आसामान्य स्थिति
रोस्कोस्मोस ने एक दिन पहले बताया कि लैंडिंग से पहले ऑर्बिट बदलते वक्त आसामान्य स्थिति आ गई, जिस वजह से लूना-25 ठीक ढंग से ऑर्बिट बदल नहीं सका. यह स्थिती तब उत्पन्न हुई थी जब सोमवार के लिए नियोजित टचडाउन से पहले शनिवार को 11:10 जीएमटी पर यान को प्री-लैंडिंग कक्षा में ले जाने की कोशिश की गई. स्पेस एजेंसी ने बताया कि विशेषज्ञ अचानक आई दिक्कत से निपटने में असफल रहे. इससे पहले रूसी एजेंसी ने कहा था कि लूना 21 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड करेगा.

कहां हुई चूक
रोस्‍कोस्‍मोस ने कहा है कि लूना-25 मिशन की शुरुआती जांच से पता चलता है कि मैनूवर के समय वास्तविक और अनुमानित गणना में विचलन हुआ था. इस वजह से स्‍पेसक्राफ्ट एक ऐसी कक्षा में चला गया जिसकी अपेक्षा ही नहीं की गई थी. इस वजह से चांद के साथ यह टकराया और क्रैश हो गया. एजेंसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 19 अगस्त को, लूना-25 उड़ान कार्यक्रम के अनुसार, इसकी प्री-लैंडिंग अण्डाकार कक्षा बनाने के लिए इसे गति प्रदान की गई थी. स्‍थानीय समयानुसार दोपहर करीब दो बजकर 57 मिनट पर लूना-25 का कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम ब्‍लॉक हो गया था. इस वजह से कोई भी संपर्क कायम नहीं हो पाया. रोस्कोस्मोस ने कहा एक स्‍पेशल जांच आयोग इस पूरे मामले की जांच करेगा.

सपने को किया चकनाचूर 
फ्रांस के अंतरिक्ष विज्ञानी और उल्‍कापिंडों पर अध्‍ययन करने वाले फ्रैंक मार्चिस की मानें तो एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी ने रोस्कोमोस के सपने को चकनाचूर कर दिया. इस गड़बड़ी की वजह से लूना-ग्लोब लैंडर बर्बाद हो गया. उनकी मानें तो निर्णायक कक्षा समायोजन के दौरान अप्रत्याशित लंबे इंजन के ओवरफायर ने चंद्रमा पर इसकी किस्‍मत को सील कर दिया. तकनीकी खामी के बाद करीब 10 घंटे तक लूना-25 के साथ कोई संपर्क नहीं हो पाया था.

भेजी थीं तस्वीरें
रोस्कोस्मोस ने बताया था कि लूना-25 ने चांद के जमीन क्रेटर की तस्वीरें पोस्ट की थी. यह चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध का तीसरा सबसे गहरा गर्त है, जिसका व्यास 190 किमी और गहराई आठ किमी है. एजेंसी का कहना है कि लूना-25 से अबतक प्राप्त डाटा से चांद की मिट्टी में रासायनिक तत्वों के बारे में जानकारी मिली है. 

लूना-ग्लोब दिया गया था मिशन का नाम
रूसी मीडिया के अनुसार, शुक्रवार 11 अगस्त को सुबह 4.40 बजे रूस के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना- 25 लैंडर की लॉन्चिंग हुई थी. लूना- 25 को सोयुज 2.1 बी रॉकेट में चांद पर भेजा गया था. इसे लूना-ग्लोब मिशन का नाम दिया गया था. रॉकेट की लंबाई करीब 46.3 मीटर और इसका व्यास 10.3 मीटर था. 

चंद्रयान- 3 से पहले लैंड करने की जताई जा रही थी उम्मीद 
उम्मीद जताई जा रही थी कि लूना-25 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर पहुंच जाएगा. वहीं, चंद्रयान-3 भारत ने 14 जुलाई को लॉन्च किया था, जो 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा. लूना- 25 और चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का समय करीब-करीब एक ही होने वाला था. लूना कुछ घंटे पहले चांद की सतह पर लैंड करता. रूस इससे पहले 1976 में चांद पर लूना-24 उतार चुका है. 

चांद की सतह पर क्या करने वाला था लूना-25
Luna-25 चंद्रमा की सतह पर साल भर काम करने के मकसद से गया था. वजन 1.8 टन था. इसमें 31 किलोग्राम के वैज्ञानिक यंत्र लगे थे. एक यंत्र ऐसा लगा था जो सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी का सैंपल जमा करता ताकि जमे हुए पानी की खोज हो सके.