बहुत से लोग सुई या इंजेक्शन की झलक से भी डर जाते हैं. डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों या कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट से गुजरने वालों के लिए, रोजाना इंजेक्शन लगवाना भले ही जरूरी हो, लेकिन यह एक काफी दर्द भरा अनुभव बन जाता है. हालांकि, एक जल्द ही सुई का विकल्प आने वाला है! इसे स्क्विड पिल्स मेथड कहा जाता है. ये एक तरह के कैप्सूल होंगे जिनके अंदर दवा होगी.
सीधे पेट में होगी दवा स्प्रे
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT), ब्रिघम एंड वूमेन्स हॉस्पिटल, और फार्मास्युटिकल कंपनी नोवो नॉर्डिस्क के शोधकर्ताओं ने इन कैप्सूलों को बनाया है. ऑक्टोपस कैसे स्क्विड इंक छोड़ते हैं, ये उसे ही देखकर बनाया गया है. कैप्सूल बनाने के लिए स्क्विड मेथड का इस्तेमाल किया गया है, जो सीधे आपके पेट या आपके पाचन तंत्र के दूसरे हिस्सों में दवा "स्प्रे" करता है. इन कैप्सूलों को सुइयों की ज़रूरत नहीं होगी!
कैसे करेगा ये काम?
अब अगर इसके काम करने के तरीके को देखें, तो कैप्सूल के अंदर छोटे स्प्रिंग्स या दबाव वाली गैस होती है. जब कैप्सूल आपके पेट तक पहुंचता है, तो एक विशेष भाग घुल जाता है, जिससे स्प्रिंग या गैस निकलती है. स्प्रिंग या गैस दवा के एक जेट को कैप्सूल से बाहर धकेलती है. इस तरह, दवा टूटने से पहले आपके शरीर में घुल जाती है.
इस कैप्सूल दो प्रकार के होते हैं. एक आपके पेट और कोलन जैसे बड़े ऑर्गन्स के लिए काम करता है. दूसरा आपके ग्रासनली और छोटी आंत जैसे छोटे अंगों के लिए है.
अभी इंजेक्शन सबसे प्रभावी तरीका है
मौजूदा समय में, सुई वाले इंजेक्शन इंसुलिन, वैक्सीन, और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी देने के लिए सबसे प्रभावी तरीके हैं. गोलियां जब खाई जाती है तो वे सही ऑर्गन तक पहुंचने से पहले ही शरीर में घुल जाती है. इससे वो ज्यादा असर नहीं करती है. लेकिन स्क्विड वाली कैप्सूल इस समस्या का समाधान हो सकती है. ये सीधे टार्गेटेड ऑर्गन तक ही दवा पहुंचाएगी.
डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए रोजाना इंजेक्शन लेने वाले मरीज को इन कैप्सूलों से काफी फायदा हो सकता है. साथ ही जेट सिस्टम सुनिश्चित करता है कि दवा का एक बड़ा हिस्सा अपने टारगेट तक पहुंच जाए, जिससे बायोअवेलेबिलिटी (शरीर द्वारा अब्सॉर्ब और उपयोग की गई दवा की मात्रा) बढ़ जाती है.
इंसानों पर होनी है टेस्टिंग
हालांकि, इन कैप्सूलों का इस्तेमाल अभी केवल एनिमल मॉडल जैसे सूअर और कुत्तों पर हुआ है. इंसानों पर इसका ट्रायल होना अभी बाकी है. अगर ये मेथड सफल होता है तो इंसुलिन इंजेक्शन को कैप्सूल से बदलने से मरीजों का जीवन स्तर काफी सुधार सकता है. इसके अलावा, वैक्सीन लेना भी आसान हो जाएगा.