
एडिनबर्ग में हेरियट-वाट विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने व्हिस्की डिस्टिलिंग इंडस्ट्री के वेस्टवाटर का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए कर रहे हैं. आपको बता दें ग्रीन हाइड्रोजन एक सस्टेनेबल फ्यूल है. उन्होंने एक नए नैनोस्केल मेटेरियल विकसित करके ऐसा किया.
यह एक पार्टिकल इंसान के बाल के डायामीटर का लगभग 10,000वां हिस्सा है. इस पार्टिकल के कारण ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन प्रोसेस में डिस्टिलरी वेस्टवाटर ताजे पानी को रिप्लेस कर पाता है. इस नैनोपार्टिकल को निकेल सेलेनाइड कहा जाता है और यह वेस्टवाटर को ट्रीट करता है. विश्वविद्यालय के अनुसार, इससे ताजे पानी की तुलना में समान या थोड़ी ज्यादा मात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन हुआ.
9 किग्रा पानी से बनती है 1 किग्रा ग्रीन हाइड्रोजन
हर एक 1 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने में 9 किलोग्राम पानी लगता है. इस बीच, 1 लीटर माल्ट व्हिस्की बनाने के बाद लगभग 10 लीटर अवशेष या वेस्ट बचता है. पृथ्वी की सुरक्षा में योगदान देने के लिए, हमें ताजे पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कम करना होगा. इसलिए यह शोध इस बात पर केंद्रित है कि इस डिस्टिलरी वेस्टवाटर का उपयोग ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक सरल प्रक्रिया के साथ कैसे किया जाए जो पानी में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों (वेस्ट) को हटा दे. इस रिसर्च पेपर को सस्टेनेबल एनर्जी एंड फ्यूल्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
सस्टेनेबल है ग्रीन हाइड्रोजन
जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) के विपरीत, हाइड्रोजन जलने पर कार्बन उत्सर्जित नहीं करता है. ग्रीन हाइड्रोजन से मतलब नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का उपयोग करके उत्पन्न ईंधन से है. ग्रीन हाइड्रोजन आमतौर पर पवन या सौर जैसे नवीकरणीय स्रोतों से बिजली का उपयोग करके इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है. यह प्रक्रिया पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके हाइड्रोजन का उत्पादन करती है.
आमतौर पर, इलेक्ट्रोलिसिस या इलेक्ट्रोलाइज़र करने वाले उपकरण केवल ताजे पानी के साथ काम करते हैं. अपशिष्ट जल की अशुद्धियां आमतौर पर इन्हें फेल कर देती हैं. लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि वे नैनोपार्टिकल्स के इस्तेमाल से इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं. रिसर्च टीम अब अपने स्वयं के इलेक्ट्रोलाइज़र प्रोटोटाइप को विकसित करने और निकल सेलेनाइड नैनोपार्टिकल्स के उत्पादन को बढ़ाने पर काम कर रही है. टीम डिस्टिलरी वेस्टवाटर का भी विश्लेषण करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्योरिफिकेशन प्रोसेस के दौरान इससे ज्यादा वैल्यू का कुछ बचाया जा सकता है या नहीं.