अधिकतर लोग आजकल बालों से झड़ने और गंजेपन को लेकर परेशान हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने इसका संभावित उपाय ढूंढ लिया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि तिल के बालों में पाए जाने वाले मॉलिक्यूल गंजेपन के लिए बोटोक्स जैसा नया ट्रीटमेंट बनाने में जरूरी हो सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि शरीर में बालों का वह प्रकार जो गंजापन का इलाज कर सकता है वह सबसे अप्रत्याशित जगह से आ सकता है. अगर ये स्टडी सफल होती है तो इस क्षेत्र में एक बड़ी प्रगति हो सकती है. हालांकि, अभी ये ट्रीटमेंट केवल माउस मॉडल में किया गया है.
हो सकता है गंजेपन का इलाज
शोधकर्ताओं की एक टीम का कहना है कि एक प्रकार का मॉलिक्यूल है जो स्किन के मस्सों की वजह से ज्यादा बाल पैदा करते हैं. उनका कहना है कि यह उम्र से संबंधित बालों के झड़ने का संभावित उपचार हो सकता है. बस इसके लिए मॉलिक्यूल में थोड़ा फेरबदल करना जरूरी है. मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक, रिसर्च के लेखक ने कहा, “यह बहुत बड़ी बात है. यह एक ऐसा मुद्दा है जो लाखों पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है, और वर्तमान में इसका कोई समाधान नहीं है.”
ऑस्टियोपोन्ट को इंजेक्ट किया जा सकता है
इस स्टडी को नेचर जर्नल में पब्लिश किया गया है. टीम ने बताया कि ऑस्टियोपॉन्टिन, एक मॉलिक्यूल है जिसकी मदद ली जा सकती है. टीम ने यह भी पाया कि, माउस मॉडल की तरह, मानव बालों वाली स्किन के मोल के सैंपल ने ऑस्टियोपोन्ट के लेवल को बढ़ा दिया है. रिसर्च में जिस थ्योरी का इस्तेमाल किया गया है उसमें कहा गया है कि बोटोक्स जैसी प्रक्रिया में निष्क्रिय बालों के रोमों को फिर से एक्टिव करने के लिए गंजे व्यक्ति की खोपड़ी में ऑस्टियोपोन्ट को इंजेक्ट किया जा सकता है.
बालों के रोम की विशेषताएं बरकरार रहेंगी
स्टडी में कहा गया, “लाखों लोगों के शरीर पर छोटे और बड़े तिल होते हैं जहां लंबे बाल उगते हैं. ऐसे मानव त्वचा के मस्सों में बढ़े हुए मॉलिक्यूल, हेयर स्टेम सेल के लिए समाधान हो सकते हैं.” इससे गंजेपन का इलाज किया जा सकता है. हालांकि, ये भी कहा गया है कि नए बाल तिल के बालों की तरह बेतहाशा नहीं बढ़ेंगे क्योंकि इसे केवल मूल बालों के रोम की विशेषताएं बरकरार रहती हैं.