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Solar Eclipses Across Religions: बुद्ध से लेकर हिन्दू, इस्लाम, जैन और ईसाइयों तक…. अलग-अलग धर्मों में क्या है सूर्य ग्रहण की मान्यताएं

Solar Eclipse 2024: अलग-अलग धर्मों में ग्रहण के अलग-अलग मतलब और इससे जुड़ी प्रथाएं हैं. बुद्ध से लेकर हिन्दू, इस्लाम, जैन और ईसाइयों में सूर्य ग्रहण की कई मान्यताएं हैं. किसी धर्म में इस घटना को अपशगुन माना जाता है तो कहीं इसे पूजा और प्रार्थना करने के अवसर के रूप में देखा जाता है.

Solar Eclipse (Photo: Unsplash) Solar Eclipse (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • बौद्ध धर्म में माना जाता है इसे आध्यात्मिक ऊर्जा

  • ईसाई धर्म में भविष्य को लेकर संकेत 

दुनियाभर में साल के पहले सूर्य ग्रहण को लेकर चर्चा चल रही है. सूर्य ग्रहण, तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है. इससे सूरज नहीं दिख पाता. सदियों से सूर्य ग्रहण देखने के लिए लोग आतुर होते हैं. लेकिन जहां साइंस इन घटनाओं के पीछे के लॉजिक की बात करता है वहीं, अलग-अलग धर्मों में ग्रहण के अलग-अलग मतलब और इससे जुड़ी प्रथाएं हैं. बुद्ध से लेकर हिन्दू, इस्लाम, जैन और ईसाइयों में सूर्य ग्रहण की कई मान्यताएं हैं. 

बौद्ध धर्म में माना जाता है इसे आध्यात्मिक ऊर्जा

तिब्बती बौद्ध धर्म में, ग्रहण को बढ़ी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा के समय के रूप में देखा जाता है. इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों काम के प्रभाव बढ़ जाते हैं. दिवंगत लामा जोपा रिनपोछे के अनुसार, चंद्र और सूर्य ग्रहण को आध्यात्मिक रूप से शुभ दिन माना जाता है. माना जाता है कि इन समय के दौरान जो भी पुण्य का काम किया जाता है वह कई गुना बढ़ जाता है. बौद्ध अक्सर ग्रहण के दौरान अलग-अलग आध्यात्मिक गतिविधियां करते हैं, जैसे मंत्रों और सूत्रों का जाप आदि. 

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ईसाई धर्म में भविष्य को लेकर संकेत 

कुछ ईसाई सूर्य ग्रहण को बाइबल में बताई गई भविष्यसूचक घटनाओं के संकेत के रूप में देखते हैं. विशेष रूप से सूर्य ग्रहण को आखिरी समय या ईसा मसीह की वापसी से पहले की खगोलीय घटनाओं के रूप में देखा जाता है. ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने के दौरान गॉस्पेल में वर्णित अंधेरे को सूर्य ग्रहण से जोड़ने वाली व्याख्याएं भी सामने आई हैं. बहरहाल, कई ईसाई अंधकार को आध्यात्मिक बदलाव और मुक्ति और पुनर्जन्म के रूप के प्रतीक में देखते हैं. 

हिंदू धर्म में मिथक 

हिंदू धर्म की प्राचीन किंवदंतियों में ग्रहणों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है. ग्रहण को दैवीय घटना से जोड़कर देखा जाता है. कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण का रिश्ता राहु और केतु की कहानी से है. जिनके कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है. सूर्य ग्रहण को आमतौर पर अशुभ घटनाओं के रूप में माना जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने के लिए उपवास, अनुष्ठान स्नान और प्रार्थना की जाती है. कई मंदिर ग्रहण के दौरान बंद हो जाते हैं, जबकि भक्त आध्यात्मिक शुद्धि के लिए प्रार्थना और ध्यान करते हैं.
 
इस्लाम में कही जाती है ये भगवान की इच्छा 

इस्लाम में, सूर्य ग्रहण को प्रार्थना और चिंतन के अवसर के रूप में देखा जाता है. कहा जाता है कि इस समय खुद को अल्लाह के प्रति समर्पित कर देना चाहिए. ग्रहण की प्रार्थना, जिसे "कुसुफ" के नाम से जाना जाता है, ब्रह्मांडीय घटनाओं के बारे में बात करती है. जबकि इस घटना के दौरान सामूहिक प्रार्थनाओं को प्राथमिकता दी जाती है. 

यहूदी धर्म में देखा जाता है ये एक अपशकुन के रूप में

यहूदी धर्म, जैसा कि तल्मूड में दर्शाया गया है, ग्रहण को आशीर्वाद के अवसर के बजाय दुनिया के लिए अशुभ संकेत के रूप में देखता है. ऐसे में कहा जाता है कि लोगों को आध्यात्मिक विकास के समय प्रार्थना करनी चाहिए. कुछ यहूदी विद्वान खगोल विज्ञान और आस्था को अलग-अलग रखने पर भी जोर देते हैं.