अंतरिक्ष में कई तरह के स्टार सिस्टम पाए जाते हैं. किसी स्टार सिस्टम के पास बहुत सारे ग्रह हैं, किसी के पास बड़े ग्रह हैं और किसी के पास कोई ग्रह नहीं हैं. लेकिन हमारे सोलर सिस्टम से लगभग 150 प्रकाश-वर्ष दूर एक असामान्य स्टार सिस्टम पाया गया है. इस सिस्टम की ख़ास बात यह है कि इस स्टार सिस्टम में मौजूद ग्रह समकोण कक्षाओं पर इसके तारे की परिक्रमा करते हैं.
2016 में हुई थी पहली खोज
2016 में, खगोलविदों ने स्टार एचडी 3167 की परिक्रमा करने वाले दो ग्रहों की खोज की. उन्हें सुपर-अर्थ माना जाता था. ये आकार में पृथ्वी और नेपच्यून के बीच के थे और हर 30 दिनों में तारे की परिक्रमा करते थे. 2017 में सिस्टम में एक तीसरा ग्रह मिला, जो लगभग आठ दिनों में इस तारे की परिक्रमा कर लेता था.
अपनी तरह का पहला स्टार सिस्टम
वैज्ञानिकों को अब जाकर पता चला है कि यह सिस्टम उनके सोच से भी अधिक अजीब है. शोधकर्ताओं ने पहली बार तारे के सबसे पास वाले ग्रह, एचडी 3167 बी की कक्षा को मापा और पाया कि यह अन्य दो से मेल नहीं खाता. इसके बजाय यह पहले के दो ग्रहों, HD 3167 c और d के लंबवत, तारे के समतल तल में परिक्रमा करता है. यह स्टार सिस्टम इस तरह का पहला सिस्टम है.
बाहरी ग्रह ध्रुवीय कक्षाओं में करते हैं परिक्रमा
बाहरी दो ग्रहों, एचडी 3167 सी और डी का झुकाव असामान्य है. ये दोनों ध्रुवीय कक्षाओं में हैं. यानी वे अपने तारे के ध्रुवों के ऊपर और नीचे जाते हैं. ये पृथ्वी और हमारे सिस्टम के अन्य ग्रहों की तरह भूमध्य रेखा के चारों ओर परिक्रमा नहीं करते. जबकि हमारे सौर मंडल में सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर एक ही प्लेन में परिक्रमा करते हैं.
चिली के टेलीस्कोप, एस्प्रेसो का हुआ इस्तेमाल
यह नई खोज चिली में स्थित एक बहुत बड़े टेलीस्कोप, एस्प्रेसो पर लगे एक उपकरण द्वारा संभव हो पाई. तारे के अत्यंत सटीक माप का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिक उस दिशा को ट्रैक करने में सक्षम थे जिसमें इनरमोस्ट प्लैनेट हमारे सापेक्ष अपने तारे के सामने से गुजर रहा था. इसे ट्रांसिट कहा जाता है. इसके बाद वैज्ञानिकों ने इसकी कक्षा के कोण का पता लगाया.
हमारे सौर मंडल से बहुत अलग
स्विट्जरलैंड के जेनेवा विश्वविद्यालय के विंसेंट बॉरियर, जिन्होंने पिछले महीने एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पत्रिका में प्रकाशित खोज का नेतृत्व किया था, ने कहा, "यह हमारे अपने सौर मंडल से बहुत अलग है. यह स्पष्ट रूप से एक आश्चर्य की बात है." वहीं मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एंड्रयू वेंडरबर्ग जिन्होंने एचडी 3167 सी और डी की प्रारंभिक खोज का नेतृत्व किया था, ने इस बारे में कहा कि ध्रुवीय कक्षाओं में एक्सोप्लैनेट ढूंढना असामान्य बात नहीं है, लेकिन इस प्रणाली की लंबवत प्रकृति सबसे अलग है.
किसी दूसरे ग्रह का हो सकता है प्रभाव
इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर की श्वेता दलाल ने इस प्रणाली का अध्ययन किया है. उन्होंने कहा,“सिस्टम में मिस अलाइनमेंट इसके बाहरी क्षेत्र में किसी अनदेखी वस्तु के कारण हो सकता है. यह सबूत मिले हैं कि बृहस्पति के आकार का एक ग्रह 80 दिनों में तारे की परिक्रमा करता है. इस दुनिया का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव बाहरी दो ग्रहों को उनकी असामान्य कक्षाओं में धकेल सकता है और हो सकता है सबसे पास वाला ग्रह अपनी तंग कक्षा के कारण तारे के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में रहा.