दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले की एक ग्रास रूट इनोवेटर नासिरा अख्तर ने एक हर्ब एंजाइम विकसित किया है, जो पॉलिथीन को राख में बदल सकता है. जिस कारण अब पॉलीथिन बायोडिग्रेडेबल हो सकता है.
छोटे से गांव कनिपोरा कुलगाम की रहने वाली, नासिरा को उनके इस अभिनव नवाचार के लिए सम्मानित किया गया, जिसका उपयोग किसी भी प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण के बिना पॉलीथीन को राख में बदलने के लिए किया जाता है. वह पॉलीथिन को राख में बदलने वाली पहली भारतीय महिला हैं. उन्हें भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 पर नारी शक्ति पुरस्कार मिला था.
रिसर्च में लगे 8 साल
1972 में जन्मी, नासिरा को उनकी रिसर्च के लिए बहुत प्रशंसा मिल रही है. इस खोज के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से पहले, उन्हें कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा मान्यता दी जा चुकी है. उन्हें लंदन में वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी मिली है.
हालांकि, इस कामयाबी के सफर में उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया. एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स पोर्टल के मुताबिक, इस रिसर्च में उन्हें 8 साल, 7 महीने और 5 दिन लगे. उनका कहना है कि इस हर्ब के पेस्ट को पॉलीथीन के कचरे के ढेर पर लगाया जाता है और फिर इसमें आग लगाई जाती है.
मात्र 12वीं कक्षा तक पढ़ी हैं नासिरा
नासिरा केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ी हैं. इसके बाद, अपने आइडियाज पर शोध करते हुए उन्होंने बहुत संघर्ष किया. क्योंकि उनकी मदद के लिए कोई इंटरनेट या संदर्भ उपलब्ध नहीं था. नासिरा का मानना है कि नवाचारों के आइडियाज के लिए उन्हें किताबों की आवश्यकता नहीं है. उनका कहना है, "ब्रह्मांड एक खुली किताब है. जो इसका अध्ययन करता है वह हमेशा कुछ न कुछ पाता है."
वर्तमान में, वह प्रदूषण नियंत्रण विभाग में कार्यरत हैं. नासिरा ने बताया कि अपने इनोवेशन को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने एक कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है. उन्होंने आगे बताया कि शुरुआत में उन्हें लोगों ने प्रोत्साहित नहीं किया था. पर उन्हें यकीन था कि एक दिन दुनिया उनके काम की सराहना करेगी.
नासिरा ने कहा कि वह नारी शक्ति पुरस्कार पाकर खुश हैं. अब वह उस दिन का इंतजार कर रही हैं जब उनका यह प्रॉडक्ट बाजारों में उपलब्ध होगा और लोगों के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा होगा.
(अशरफ वानी की रिपोर्ट)