स्पेस और वहां जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर कई सवाल मन में आते हैं. ऐसे में बहुत कम लोग जानते हैं कि एक समय ऐसा था जब रूस के अंतरिक्ष यात्री स्पेस में बंदूक लेकर जाते थे. रूसी अंतरिक्ष यात्रियों का पिस्तौल लेकर जाने के पीछे अपनी वजह बताई जाती है.
क्या है गन रखने के पीछे की वजह?
दरअसल, जब शुरुआत में लोग स्पेस में जाते थे तब उन्हें कई मुद्दों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. इनमें से एक चुनौती धरती के वायुमंडल में दोबारा से प्रवेश करने के दौरान आती थी. स्पेसक्राफ्ट के सामने कई सारी समस्याएं आती थीं. कई बार तो अलग-अलग समस्याओं के कारण स्पेसक्राफ्ट को जहां लैंडिंग करवानी होती थी, उससे दूर उतरना पड़ता था.
कई बार खतरनाक जगहों पर होती थी लैंडिंग
कहा जाता है कि रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को कई बार साइबेरिया जैसे बेहद खतरनाक क्षेत्र में उतरना पड़ता था, जहां उन्हें जिंदा रहने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. इसीलिए इन खतरों से लड़ने के लिए रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को टीपी-82 ट्रिपल-बैरल हैंडगन जारी किए गए थे.
टीपी-82 पिस्तौल स्पेसयात्रियों के लिए तैयार की गई थी
इतना ही नहीं इन एस्ट्रोनॉट के लिए विशेष रूप से टीपी-82 पिस्तौल तैयार की गई थी. इसमें तीन-बैरल कॉन्फिगरेशन की सुविधा दी गई थी, जिसमें अलग-अलग तरह के गोला-बारूद डाले जा सकते थे. छोटे शिकार के लिए, बड़े शिकारियों को दूर भगाने और आसमान में लाइटिंग करके संकेत देने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था. टीपी-82 सुदूर और जोखिम भरे इलाकों में जीवित रहने के लिए एक जरूरी डिवाइस के रूप में उभरा था.
हर चीज होती थी किट में
इतना ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों को एक किट भी दी जाती थी. इस किट में टीपी-82 पिस्तौल के साथ, अंतरिक्ष यात्रियों को अतिरिक्त राशन, इमरजेंसी मेडिसिन और संचार करने के लिए अलग-अलग डिवाइस आदि होते थे. इसमें वो सभी चीजें होती थीं जो उन्हें हर तरह की परेशानी से निपटने में मदद कर सके. ये परेशानियां अक्सर उन्हें पृथ्वी की सतह पर लौटने पर आती थी.
हालांकि, जैसे-जैसे स्पेस इंडस्ट्री का विकास होता गया वैसे वैसे स्पेसक्राफ्ट के डिजाइन को और एडवांस किया जाने लगा. इसमें नेविगेशन सिस्टम और ऑफ-कोर्स लैंडिंग से जुड़े जोखिमों को धीरे-धीरे कम कर दिया. और फिर कुछ समय बाद स्पेस में हथियार की जरूरत कम हो गई.
ये भी पढ़ें