देहरादून में रविवार को आसमान में अद्भुत नजारा देखने को मिला. आसमान में सूरज इंद्रधनुष के रिंग में दिखाई दे रहा था. लोगों ने इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं और देखते ही देखते यह वायरल हो गई. इंद्रधनुषी घेरे में कैद सूरज को देखकर लोग हैरान थे और इसके बारे में जानने को लेकर उत्सुक भी. चलिए हम आपको बताते हैं सन होलो के बारे में...
क्या है सन होलो
जब सूरज सतंरगी गोले में दिखाई दे, इस घटना को सन होलो कहते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक खगोली घटना है, जब सूरज धरती से करीब 22 डिग्री कोण पर पहुंचता है तो आसमान में नमी की वजह से ऐसा रिंग बन जाता है. यह लगभग 22 डिग्री के दायरे में सूर्य या चंद्रमा को घेरे हुए इंद्रधनुष की तरह दिखाई देता है. भारत के लिए भले ही यह दुर्लभ घटना हो, लेकिन ठंडे देशों में ऐसा अक्सर होता रहता है.
कब बनता है सन होलो
जब लाखों बर्फ के क्रिस्टल सूर्य के प्रकाश के अपवर्तन के कारण वातावरण में मिलते हैं तब यह घटना होती है. आसान भाषा में कहें तो, जब सूरज के आसपास नमी भरे बादल होते हैं, तब सन होलो बनता है. आमतौर पर होलो 20,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बनते हैं.
सन होलो बनने का क्या कारण है?
यूके स्थित वायुमंडलीय प्रकाशिकी के अनुसार, प्रकाश के कारण जब बर्फ के क्रिस्टल परावर्तित और अपवर्तित होते हैं तो ये रंगों में विभाजित हो जाते हैं, और इसी के कारण सन होलो का निर्माण होता है. ये क्रिस्टल प्रिज्म और मिरर की तरह दिखते हैं जो एक विशेष दिशा में रोशनी भेजते हैं. होलोस के कई रूप हो सकते हैं, ज्यादातर ये रंगीन या सफेद छल्ले के रूप में दिखाई देते हैं. सन होलो को सन डॉग, सनबो या व्हर्लिंग रेनबो भी कहा जाता है. अमेरिका में इसे बदलाव के संकेत के रूप में देखा जाता है.