scorecardresearch

Sunita Williams in Space: रेडिएशन मॉनिटरिंग, क्वालिटी स्लीप...रूटीन एक्सरसाइज... बैलेंस्ड डाइट... कुछ ऐसे खुद का ख्याल रखते हैं एस्ट्रोनॉट...  क्या ज्यादा दिन स्पेस में रहने का शरीर पर कोई फर्क पड़ता है? 

अंतरिक्ष यात्री एक स्पेशल डाइट प्लान भी होता है, जो उन्हें हेल्दी रखता है. इसमें सभी मील्स इस तरह से तैयार की जाती हैं कि उसमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का सही बैलेंस हो. न्यूट्रिशन एक्सपर्ट और वैज्ञानिक मिलकर ऐसे फूड तैयार करते हैं जो उनके कैलोरी और पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा कर सके.

Sunita Williams in Space Sunita Williams in Space
हाइलाइट्स
  • शरीर के सामने आती हैं कई चुनौतियां

  • शारीरिक फिटनेस जिंदा रहने के लिए जरूरी 

स्पेस से जुड़ी बातें सुनने में जितनी आकर्षक लगती हैं, अंतरिक्ष में रहना उतना ही मुश्किल है. खासकर खुद की हेल्थ का ख्याल रखना वहां सबसे बड़ा चैलेंज है. अब इसी से जुड़ी एक बहस सोशल मीडिया पर चल रही है. इसके केंद्र में एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स हैं. दरअसल,  सुनीता विलियम्स की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वह काफी कमजोर दिख रही हैं. इस तस्वीर ने लंबे समय तक स्पेस में रहने वाले एस्ट्रोनॉट और उनकी हेल्थ को लेकर चर्चा छेड़ दी है. लंबे समय तक स्पेस में में रहते हुए एस्ट्रोनॉट खुद को फिट कैसे रखते हैं? या उनकी मेंटल हेल्थ कैसी रहती है? 

शरीर के सामने स्पेस में आने वाली चुनौतियां
जब सुनीता विलियम्स जैसे अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहते हैं, तो उनके शरीर को गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण अनोखी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. धरती पर हमारे शरीर की हड्डियां और मांसपेशियां गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करती हैं. लेकिन स्पेस में यह फाॅर्स नहीं होता, और शरीर जल्दी ही कमजोर होने लगता है. मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, हड्डियां डेंसिटी खो देती हैं, और दिल की सेहत पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता है. अगर इसे रोका न जाए, तो स्पेस में एस्ट्रोनॉट का शरीर धीरे-धीरे कमजोर हो सकता है. 

शारीरिक फिटनेस जिंदा रहने के लिए जरूरी 
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अंतरिक्ष यात्री अपने मांसपेशियों और हड्डियों को बनाए रखने के लिए हर दिन कम से कम दो घंटे के लिए एक बहुत ही स्ट्रक्चर्ड एक्सरसाइज प्लान को फॉलो करते हैं. वे स्पेशल इक्विपमेंट का उपयोग करते हैं, जो उनकी बॉडी को ठीक ठीक रखते हैं. 

सम्बंधित ख़बरें

1. ट्रेडमिल विद वाइब्रेशन आइसोलेशन एंड स्टेबिलाइजेशन (TVIS): ट्रेडमिल हार्ट हेल्थ को बनाए रखने के लिए जरूरी है. एस्ट्रोनॉट एक हार्नेस पहनते हैं जो उन्हें ट्रेडमिल से जोड़ता है, जिससे उन्हें धरती पर चलने या दौड़ने जैसा अनुभव होता है.

2. एडवांस्ड रेसिस्टिव एक्सरसाइज डिवाइस (ARED): यह इक्विपमेंट स्पेस में वजन उठाने का अनुभव कराता है और इस पर मांसपेशियों के विकास के लिए तरह-तरह की एक्सरसाइज की जा सकती हैं. इसका उद्देश्य मांसपेशियों की कमजोरी और हड्डियों की डेंसिटी में कमी को रोकना है.

3. साइकिल एर्गोमीटर विद वाइब्रेशन आइसोलेशन एंड स्टेबिलाइजेशन (CEVIS): यह स्टेबल साइकिल दिल को स्वस्थ रखने और सहनशक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है और इसमें निचले शरीर को मजबूत करने के लिए बिना हाथों के सहारे के साइकिल चलाने का भी ऑप्शन होता है.

हालांकि, इतने स्ट्रिक्ट प्लान के बावजूद, एस्ट्रोनॉट को कुछ हद तक मांसपेशियों के नुकसान और हड्डियों की कमजोरी का सामना करना पड़ता है. धरती पर वापस आने के बाद, उन्हें एडजस्ट करने में काफी समय लगता है. 

बेहतर स्वास्थ्य के लिए डाइट में बदलाव
अंतरिक्ष यात्री एक स्पेशल डाइट प्लान भी होता है, जो उन्हें हेल्दी रखता है. इसमें सभी मील्स इस तरह से तैयार की जाती हैं कि उसमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का सही बैलेंस हो. न्यूट्रिशन एक्सपर्ट और वैज्ञानिक मिलकर ऐसे फूड तैयार करते हैं जो उनके कैलोरी और पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा कर सके.

अंतरिक्ष यात्री मुख्य रूप से डिहाइड्रेटेड और लंबे समय तक स्टोर किए जा सकने वाले फूड्स का सेवन करते हैं. उनके भोजन में अनाज, फल, सब्जियां, और प्रोटीन होता है. उदाहरण के लिए, उनके पास नाश्ते में ओटमील, दोपहर में टॉर्टिला और रात के भोजन के लिए डिहाइड्रेटेड सूप या पास्ता होते हैं.

क्या समय का असर होता है?
नासा की एक रिपोर्ट की मानें, तो स्पेस में बिताए गए समय का एस्ट्रोनॉट के शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है. शोध बताते हैं कि जितना ज्यादा समय वे स्पेस में बिताते हैं, उतना ही उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, और हार्ट सिस्टम को पूरी तरह से ठीक होने में कई सप्ताह या महीनों का समय लग सकता है.

मेंटल हेल्थ ठीक रखना है बड़ा चैलेंज 
शारीरिक फिटनेस की तरह ही, मेंटल हेल्थ भी लंबे मिशनों के लिए उतनी ही जरूरी है. पृथ्वी से दूरी, परिवार से दूर रहना, कम सोशल इंटरेक्शन जैसी स्थिति में अकेलापन, डिप्रेशन और एंग्जायटी हो सकती है. सीमित जगह में लंबे समय तक एक ही तरह के लोगों के साथ रहना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, अंतरिक्ष एजेंसियां अंतरिक्ष यात्रियों को मेंटल सपोर्ट देती हैं, इसमें परिवार और दोस्तों से नियमित वीडियो कॉल करना, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से बातचीत करना आदि शामिल हैं. 

बता दें, अंतरिक्ष में महीनों बिताने के बाद, लौटने वाले एस्ट्रोनॉट के लिए फिर से उसी जिंदगी में आना एक लंबा प्रोसेस हो सकता है. बहुत से लोग खड़े होने में कठिनाई महसूस करते हैं क्योंकि उनकी मांसपेशियां कमजोर हो चुकी होती हैं. इसलिए अक्सर कहा जाता है कि स्पेस यात्रा, भले ही रोमांचक हो, पर इसमें कई शारीरिक और मानसिक चुनौतियों शामिल हैं.