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Sunita Williams Stuck in Space: स्पेस में फंसने पर शरीर पर हो सकता है खतरनाक असर, एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है खुद को हेल्दी रखना

स्पेस में सबसे ज्यादा मुश्किल खुद को हेल्दी रखने में आती है. हालांकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन काफी सुरक्षित है लेकिन इसे भी लंबे समय तक रहने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है. ऐसे में सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर जैसे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खुद को हेल्दी रखना बहुत बड़ा चैलेंज होता है.

Astronaut in Space (Representational Image) Astronaut in Space (Representational Image)
हाइलाइट्स
  • स्पेस में हो सकती हैं काफी परेशानियां

  • खुद को हेल्दी रखना है सबसे बड़ा चैलेंज

जरा सोचिए अगर आप स्पेस में हैं… जो सितारे आप धरती से देखते हैं उनसे घिरे हुए… लेकिन चारों ओर केवल अंधेरा है और आप अकेले... इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से नजारा कुछ ऐसा ही होता है. हालांकि, ये नजारा आपकी आंखों के लिए काफी मनमोहक हो सकता है, लेकिन आपकी सेहत के लिए नहीं. अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बैरी विल्मोर अभी कुछ ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहे हैं. ऐसे में उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज खुद को स्वस्थ रखना है. 

ISS की यात्रा में देरी क्यों?

सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर बड़ी उम्मीदों और सावधानीपूर्वक योजना के साथ अपने मिशन पर निकले थे. ये मिशन 25 मई को लॉन्च किया गया था. मिशन केवल आठ दिन का था. लेकिन मामूली हीलियम लीक का पता चलते ही मिशन में देरी हो गई. इस तकनीकी समस्या की वजह से उनके धरती पर आने में देरी हो रही है. हालांकि, 6 जून को उनका स्पेसक्राफ्ट सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ गया है.

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सफल डॉकिंग के बावजूद, उनकी वापसी यात्रा रोक दी गई है. नासा ने सतर्क रुख अपनाते हुए सुरक्षा और पूरी प्रक्रिया के पालन के महत्व पर जोर दिया है.

स्पेस में रहना सुनने में अच्छा लग सकता है लेकिन ये चुनौतियों से भरा हुआ है. विशेष रूप से गुरुत्वाकर्षण के बिना रहना. गुरुत्वाकर्षण की कमी से हमारे शरीर का कामकाज प्रभावित हो सकता है. इससे कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. 

स्पेस में हो सकती हैं काफी परेशानियां

बिना गुरुत्वाकर्षण के हमारे शरीर का फ्लूइड ऊपर की ओर ट्रांसफर हो सकता है. जिससे किडनी के लिए समस्या पैदा हो सकती है. हमारी किडनी शरीर के फ्लूइड को बैलेंस करने और वेस्ट को फिल्टर करने का काम करती हैं. इसे लेकर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologist) डॉ. जयंत कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बात की. उन्होंने इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया.  

1. फ्लूइड से जुड़ी समस्या: किडनी के फ्लूइड लेवल को रेगुलेट करने में परेशानी आ सकती है. जिससे या तो डिहाइड्रेशन हो सकता है या फिर शरीर के एक हिस्से में ज्यादा फ्लूइड जमा हो सकता है. ये दोनों ही परिस्थिति काफी हानिकारक हैं. 

2. गुर्दे की पथरी: माइक्रोग्रैविटी के कारण हड्डियों से कैल्शियम ज्यादा बनने लगता है, जिससे गुर्दे की पथरी का खतरा बढ़ जाता है. ये पत्थर न केवल दर्दनाक हैं बल्कि स्पेस की माइक्रोग्रैविटी में इन्हें मैनेज करना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. 

3. क्रोनिक किडनी डिजीज: स्पेस रेडिएशन के लगातार संपर्क में रहने से किडनी की सेल्स और टिश्यू को नुकसान हो सकता है, जिससे समय के साथ क्रोनिक किडनी डिजीज की संभावना बढ़ जाती है.

4. मांसपेशियों और हड्डियों का नुकसान: गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव के बिना, मांसपेशियां और हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं. इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. 

5. चेहरे पर सूजन: शरीर के फ्लूइड के ऊपर की ओर खिसकने से चेहरे पर सूजन हो सकती है और इंट्राक्रैनियल दबाव बढ़ सकता है. इससे आंखों की रोशनी पर काफी प्रभाव पड़ता है. 

समय बीतने के साथ-साथ ये समस्याएं और भी खतरनाक होती जाती हैं, जिससे लंबे समय तक स्पेस में रहना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो जाता है. 

किस तरह खुद को फिट रखते हैं एस्ट्रोनॉट? 

इन चुनौतियों के बावजूद, नासा और दूसरी स्पेस एजेंसियों ने इन जोखिमों को कम करने के लिए कई स्ट्रेटेजी बनाई हैं:

1. एक्सरसाइज: मांसपेशियों और हड्डियों के मास को बनाए रखने के लिए हर दिन एक्सरसाइज जरूरी है. स्पेस यात्री फिट रहने और मांसपेशियों और हड्डियों के नुकसान से बचने के लिए ट्रेडमिल जैसी मशीनों का उपयोग करते हैं.

2. डाइट प्लान: स्वास्थ्य के एक अच्छा डाइट प्लान भी जरूरी है. अंतरिक्ष यात्रियों को लंबे मिशन के दौरान अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त विटामिन, मिनरल्स और दूसरे पोषक तत्व दिए जाते हैं. 

3. रेडिएशन प्रोटेक्शन: रेडिएशन के जोखिम को कम करना एक गंभीर चिंता का विषय है. इसमें कम सोलर एक्टिविटी के दौरान स्पेसवॉक शेड्यूल करने की सलाह दी जाती है. साथ ही कॉस्मिक रेडिएशन से बचाने के लिए अंतरिक्ष यान के भीतर ही ट्रेनिंग करने के लिए कहा जाता है. 

4. मेंटल हेल्थ सपोर्ट: परिवार और दोस्तों के साथ नियमित बातचीत भी  की जाती है. साथ ही यात्रियों को मेंटल हेल्थकेयर वर्कर्स से बात भी करवाई जाती है. इससे एस्ट्रोनॉट की मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है. 

हालांकि ISS काफी सुरक्षित है लेकिन इसे भी लंबे समय तक रहने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है. ऐसे में नासा का उद्देश्य सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर जैसे अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित और समय पर पृथ्वी पर वापस लाना है.