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Neanderthal से विरासत में मिला जीन तय करता है मनुष्य के नाक का आकार, UCL study में हुआ खुलासा

University College London के एक शोध में पाया गया है कि निएंडरथल से विरासत में मिला जीन आधुनिक मनुष्यों के नाक के आकार को प्रभावित करता है. इससे पहले साल 2021 में एक शोध हुआ था, जिसमें होंठ को प्रभावित करने वाला जीन डेनिसोवन्स से मिलने के सबूत मिले थे.

शोध में पाया गया कि निएंडरथल से विरासत में मिला जीन मनुष्य के नाक का आकार तय करता है (Photo/Wikipedia) शोध में पाया गया कि निएंडरथल से विरासत में मिला जीन मनुष्य के नाक का आकार तय करता है (Photo/Wikipedia)

पहले भी कई बार रिसर्च में आधुनिक इंसानों और निएंडरथल में आपसी ताल्लुकात होने के सबूत मिले हैं. इस बार शोध में ये सामने आया है कि निएंडरथल जीन की वजह से आधुनिक इंसानों की नाक का आकार ऊपर से नीचे तक लंबा है. आपको बता दें कि निएंडरथल मनुष्य से मिलती-जुलती प्रजाति थी, जो 28 हजार साल पहले हिमयुग की वजह से विलुप्त हो गई. इंसानों की प्रजाति और निएंडरथल एक समय में ही यूरोप में रहे थे.

निएंडरथल से मिला नाक का आकार-
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि निएंडरथल से विरासत में मिली जीन की वजह से आधुनिक मनुष्यों की नाक का आकार ऐसा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि निएंडरथल का होमो सेपियंस के साथ संबंध था. जिसकी वजह से उनका कुछ डीएनए आज भी इंसानों में मौजूद है. ये रिसर्च कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि निएंडरथल जीन ने आधुनिक इंसानों के चेहरे के आकार को प्रभावित किया होगा. जिसकी वजह से हमारी नाक की लंबाई ऐसी है. यूसीएल के रिसर्चर्स के नए शोध में पाया गया है कि आधुनिक इंसानों में पाया जाने वाला एक विशेष जीन, जिसकी वजह से नाक ऊपर से नीच तक लंबी है, निएंडरथल से ही आया होगा. दरअसल निएंडरथल अफ्रीका छोड़ने के बाद ठंडे इलाकों में गए, जिसकी वजह से उनकी नाक इस तरह से विकसित हुई होगी.
यूसीएल में स्टर्न लैब में स्टेटिस्टिकल जेनेटिसिस्ट सांख्यिकीय आनुवंशिकीविद् डॉ. कौस्तुभ अधिकारी ने का कहना है कि पिछले 15 सालों की निएंडरलथल जीन पर रिसर्च से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमारे पूर्वजों के निएंडरथल के साथ ताल्लुकात थे. जिनके कुछ डीएनए आज भी आधुनिक इंसानों में हैं. उन डीएनए की झलक हमारे चेहरे में दिखती है.

6000 से ज्यादा डेटा का इस्तेमाल-
इस रिसर्च में मिश्रित यूरोपीय, मूल अमेरिकी और अफ्रीकी वंश के लैटिन अमेरिका के 6 हजार से अधिक लोगों का डेटा का इस्तेमाल किया गया है. यूसीएल की अगुवाई वाली टीम ने ब्राजील, कोलंबिया, चिली, मैक्सिको और पेरू से लोगों को लिया. इसमें शामिल लोगों के आनुवंशिक जानकारी की तुलना उनके चेहरे की तस्वीरों से की गई. जिससे वैज्ञानिकों ने मानव चेहरे के आकार से जुड़े 33 नए जीनोम क्षेत्रों की पहचान की.

पहले भी होंठ को लेकर रिसर्च में मिले थे सबूत-
यूसीएल की रिसर्च प्राचीन मानव के साथ आधुनिक इंसानों के बारे में डीएनए से संबंधित दूसरी खोज है. इससे पहले भी एक रिसर्च साल 2021 में हुआ था, जिसमें होंठ को लेकर खुलासा हुआ था. उस रिसर्च में ये बात सामने आई थी कि आधुनिक इंसानों के होंठों को प्रभावित करने वाली जीन प्राचीन डेनिसोवन्स से विरासत में मिला था.

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