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Earth's Day: एक अरब साल तक 24 घंटे नहीं बल्कि 19.5 घंटे का होता था एक दिन, वैज्ञानिकों ने अब सुलझाई इसके पीछे की गुत्थी

लगभग 2 अरब साल पहले से लेकर 60 करोड़ साल पहले तक, एक दिन कुल 19.5 घंटे का होता था. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ये ड्रैग इफेक्ट नहीं होता तो पृथ्वी का दिन वर्तमान में 60 घंटे से ज्यादा लंबा हो सकता था.

Earth's Day Earth's Day
हाइलाइट्स
  • धीरे-धीरे पीछे हट रहा है चन्द्रमा 

  • चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी है बड़ा कारण 

एक समय था जब पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे का नहीं बल्कि 19.5 घंटे का होता था. अब इसके पीछे के कारण को भी पहचान लिया गया है. वैज्ञानिकों ने इस 1 अरब साल पुरानी गुत्थी को सुलझा लिया है. दरअसल, पृथ्वी के दिन लंबे होते जा रहे हैं क्योंकि चंद्रमा धीरे-धीरे हमसे दूर जा रहा है. लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब दिन की इस बढ़ती लंबाई पर विराम लग गया था. लगभग 2 अरब साल पहले से लेकर 60 करोड़ साल पहले तक, एक दिन कुल 19.5 घंटे का होता था. 

अब, वैज्ञानिकों ने इसका कारण ढूंढ लिया है. उनका मानना है कि चंद्रमा की टाइडल गृप के ड्रैग इफेक्ट या इसके खिंचाव वाले प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सूर्य ग्रह के वायुमंडल पर अपना प्रभाव डालता है.

धीरे-धीरे पीछे हट रहा है चन्द्रमा 

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ये इफेक्ट नहीं होता तो पृथ्वी का दिन वर्तमान में 60 घंटे से ज्यादा लंबा हो सकता था. ऐसी में टोरंटो यूनिवर्सिटी के खगोल भौतिकीविद् हानबो वूह ने सुझाव दिया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के लिए मॉडल बनाते हुए हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए. 

दरअसल, लगभग 4.5 अरब साल पहले जब चंद्रमा पहली बार बना था, तब पृथ्वी पर दिन की लंबाई - अपनी धुरी पर उसके घूमने की गति से परिभाषित होती थी- जो कि बहुत कम थी. अनुमान के अनुसार यह केवल कुछ घंटों के बराबर ही थी. भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड बताते हैं कि समय के साथ दिन लंबा होता गया. ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा हर साल लगभग 3.78 सेंटीमीटर (1.49 इंच) की दर से धीरे-धीरे पीछे हट रहा है.

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी है बड़ा कारण 

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव (gravitational influence) काफी हद तक पृथ्वी के महासागरों के ज्वार (Tides) को कंट्रोल करता है. जैसे ही यह पृथ्वी के चारों ओर घूमता है, पानी पर चंद्रमा का खिंचाव ग्रह के दोनों ओर समुद्र के उभार बनाता है. चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण उन उभारों पर ब्रेक लगाने के लिए उन्हें खींचता है, जिससे पृथ्वी का घूमना धीमा हो जाता है. वैज्ञानिक अक्सर इस प्रभाव की तुलना एक घूमने वाले फिगर स्केटर से करते हैं जो धीमा करने के लिए अपनी बाहें फैलाता है. वैज्ञानिक कहते हैं कि हर शताब्दी में पृथ्वी के दिन में लगभग 1.7 मिलीसेकेंड और जुड़ जाते हैं. 

झूले वाली थ्योरी बैठती है सटीक 

पृथ्वी का पूरा इतिहास उठाकर देखें तो चंद्रमा का प्रभाव सूर्य की तुलना में बहुत अधिक मजबूत रहा है. इसलिए ये घंटों का ज्यादा होने वाली थ्योरी ज्यादा हावी रही है. टोरंटो यूनिवर्सिटी के नॉर्मन मुर्रे कहते हैं, "यह एक बच्चे को झूले पर धकेलने जैसा है. अगर आपका धक्का और झूले की टाइमिंग तालमेल से बाहर हैं, तो यह बहुत ऊपर नहीं जाएगा. लेकिन, अगर ये तालमेल अच्छा है और आप जोर लगा रहे हैं जैसे झूला अपनी नीचे पॉइंट पर आकर रुकता है तो धक्का देने पर झूले की स्पीड बढ़ जाती है और वो और ऊपर चला जाता है. इस पूरे मामले में भी यही हुआ है.”