इंसानों के लिए अंतरिक्ष की यात्रा और भी सुरक्षित हो सकेगी. टोक्यो की गिताई (Gitai) कंपनी एक छोटा रोबोट बना रही है, जो स्पेस में मरम्मत कर सकता है. इसके अलावा कंपनी एक रोबोट भी विकसित कर रहा है जो चंद्रमा की सतह पर काम कर सकता है. दरअसल, स्पेस ट्रेवल के दौरान होने वाली रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है.
ये रेडिएशन इंसानों के नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे हमारे ब्रेन की दूसरे ऑर्गन्स के साथ कॉन्टैक्ट करने में परेशानी हो सकती है. या फिर इससे मोटर फंक्शन भी कम हो सकता है और व्यवहार में कुछ बदलाव आ सकता है. इसी से इंसानों को बचाने के लिए कंपनी रोबोट बना रही है.
सुरक्षित और किफायती तरीका है यह
इसका आईडिया लाने वाले शॉ नाकानोज के अनुसार, ये एक सुरक्षित और किफायती तरीका है. रोबोटिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके स्पेस की कई चीजों का पता लगाया जा सकता है. उनके कहना है कि ये इंसानों के श्रम को 100 गुना कम करना और मनुष्यों के बजाय रोबोट को ऑर्बिट में भेजकर सुरक्षा के जोखिमों को भी कम किया जा सकेगा.
स्पेस में काम करना है लोगों के लिए खतरनाक
लोगों के लिए अंतरिक्ष में रहना और काम करना महंगा और खतरनाक दोनों है. उदाहरण के लिए, ऑर्बिट में या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए एक क्रू फ्लाइट की लागत प्रति सीट $58 मिलियन या 475 करोड़ से शुरू होती है. अंतरिक्ष यात्रा में शामिल लोगों के लिए कई जोखिम भी आते हैं. नासा के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रा के कारण होने वाला रेडिएशन जोखिम कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है.
कई कंपनियां कर रही हैं स्पेस रोबोटिक्स पर काम
गौरतलब है कि गिताई अकेली स्पेस रोबोटिक्स कंपनी नहीं है. मौजूदा समय में कनाडा की एमडीए स्पेस जैसी कंपनियों का इस इंडस्ट्री में वर्चस्व है. इसके अलावा, लक्जमबर्ग स्थित रेडवायर, जो स्पेसक्राफ्ट के लिए रोबोटिक्स सिस्टम बनाती है. ऐसे में अब स्पेस रोबोटिक्स की मांग बढ़ रही है, और विश्लेषक फर्म ग्रैंड व्यू रिसर्च का अनुमान है कि 2027 तक कुल बाजार 5 अरब डॉलर से ज्यादा का हो जाएगा.