मंगल ग्रह पर लगातार रिसर्च चल रही है. वो ग्रह रहने लायक है या नहीं इसको लेकर एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं. अब जरा सोचिए मंगल ग्रह पर एक माइक्रोवेव-ओवन आकार का डिवाइस है जो ऑक्सीजन बना रहा है. ये वही ऑक्सीजन है जिससे अंतरिक्ष यात्री सांस ले सकते हैं और रॉकेट प्रोपेलेंट के रूप में उपयोग कर सकते हैं. नासा का MOXIE नाम का डिवाइस इस काम को करने में लगा है. अब मोक्सी ने प्रेरजरवेरेंस रोवर पर 16वीं बार सफलतापूर्वक ऑक्सीजन का उत्पादन करने के साथ अपने मिशन को पूरा कर लिया है.
मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन
MOXIE के इस मिशन ने साबित कर दिया है कि मंगल के वायुमंडल से ऑक्सीजन निकालना संभव है. यह ऑक्सीजन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जरूरी हो सकती है, जो मंगल ग्रह पर भविष्य के मिशनों के लिए सांस लेने योग्य हवा और रॉकेट फ्यूल की आपूर्ति करेगी.
बता दें, 2021 में Perseverance के मंगल ग्रह पर उतरने के बाद से MOXIE ने कुल 122 ग्राम ऑक्सीजन उत्पन्न की है. इसे इस तरह से समझिए कि एक छोटा कुत्ता लगभग 10 घंटे में इतनी ही सांस लेता है. MOXIE ने नासा के बेसिक टारगेट को पार करते हुए प्रति घंटे 12 ग्राम ऑक्सीजन का उत्पादन किया.
मोक्सी कैसे काम करता है?
MOXIE एक इलेक्ट्रोकेमिकल प्रोसेस की मदद से मॉलिक्यूलर ऑक्सीजन बनाता है जो मंगल के पतले वातावरण में ऑक्सीजन एटम को कार्बन डाइऑक्साइड से अलग करता है. यह सिस्टम जो भी ऑक्सीजन बनती है उसकी शुद्धता और मात्रा को मॉनिटर करता है.
दरअसल, MOXIE को भविष्य के मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है. ये इस टेक्नोलॉजी का पहला मिशन था, जो आने वाले समय में मनुष्यों को मंगल ग्रह पर जीवित रहने और रॉकेट फ्यूल के सोर्स के रूप में मदद कर सकता है.
अब बनाया जाएगा ऑक्सीजन भंडार
भविष्य के अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से सब कुछ लाने के बजाय मंगल ग्रह पर अपनी जरूरत की चीजों का उत्पादन करने के लिए MOXIE का उपयोग कर सकते हैं. MOXIE की सफलता ने भविष्य के स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए अब उम्मीद पैदा कर दी है.
नासा की वेबसाइट के मुताबिक, अब उनका अगला कदम एक फुल-स्केल सिस्टम बनाना है जिसमें ऑक्सीजन जनरेटर और भंडारण शामिल है. गौरतलब है कि NASA की जेट प्रोपल्शन लैब MOXIE प्रोजेक्ट और प्रेजरवेरेंस रोवर ऑपरेशन को मैनेज करती है.