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Indian Navy की दो महिला अफसर पहुंची Point Nemo, जानें क्यों कहा जाता है Graveyard of Satellite

इंडियन नेवी की दो महिला अफसरों ने प्वाइंट नीमो पहुंच कर रचा कीर्तिमान. प्वाइंट नीमो को बताया जाता है सबसे रिमोट लोकेशन. जाने आखिर क्यों कहते हैं ग्रेवयार्ड ऑफ स्पेस क्राफ्ट.

Lt Cdr Dilna K and Lt Cdr Roopa A, crossed Point Nemo - the Oceanic Pole of Inaccessibility. Lt Cdr Dilna K and Lt Cdr Roopa A, crossed Point Nemo - the Oceanic Pole of Inaccessibility.

भारतीय नौसेना की दो महिला अफसरों ने प्वाइंट नीमो को पार कर कीर्तिमान रच दिया. प्वाइंट नीमो को दोनों अफसरों ने INSV तारिणी में सवार होकर किया. दोनों महिला अफसर के नाम लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए है. पिछले साल 2 अक्टूबर को भारतीय नौसेना की दो महिला अफसर INSV तरिणी बोट से पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के लिए निकली थी.

कब शुरू की यात्रा
भारतीय नौसेना की दोनों अफसरों ने 2 अक्टूबर, 2024 को दुनिया का चक्कर लगाने का मिशन शुरू किया था. उन्होंने गोवा से आईएनवीएस तरिणी पर अपनी यात्रा शुरू की. वे 22 दिसंबर को न्यूजीलैंड के लिटेल्टन पोर्ट पहुंचे, जो अभियान का दूसरा चरण था. इसके बाद चालक दल ने इस महीने की शुरुआत में लिटेल्टन से फॉकलैंड द्वीपों के पोर्ट स्टेनली की ओर सबसे लंबी यात्रा शुरू की. इसकी दूरी करीब 5,600 समुद्री मील है.

क्या है प्वाइंट नीमो?
प्वाइंट नीमों को ग्रेवयॉर्ड ऑफ स्पेस क्राफ्ट कहा जाता है. यह पृथ्वी पर सबसे रिमोट लोकेशन है. यह स्थान 48°53′S 123°24′W पर स्थित है. यह जगह पृथ्वी का सबसे दूर का इलाका है. प्वाइंट नीमो के सबसे पास की जमीन लगभग 2688 किलोमीटर पर स्थित है. 

दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित यह प्वाइंट अपनी अत्यधिक रिमोट एरिया के तौर पर जाना जाता है. यहां पर किसी इंसान की सबसे नजदीक मौजूदगी सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में मौजूद एक्स्ट्रानॉट की होती है, जो इसके 400 किलोमीटर ऊपर ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा होता है.

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क्यों कहा जाता है ग्रेवयार्ड ऑफ स्पेस क्राफ्ट?
प्वाइंट नीमो डी कमिशन हुए अंतरिक्ष यान का कब्रिस्तान भी है, जहां स्पेस एजेंसियां उपयोग में ना लाए जाने वाले उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशन को दफ्न करते है. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद इसी इलाके में उन्हें समंदर में गिराया जाता है. 

कोई इंसान यहां नहीं है इसलिए जान माल का कोई खतरा नहीं होता है. नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी यहीं दफ्न होगा. नासा ने एलान किया है कि 2031 की शुरुआत में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को बंद कर देगा. इसी प्वाइंट नीमो में ही वह समंदर में समा जाएगा. इस प्रक्रिया को डी ऑर्बिटिंग कहा जाता है. इसकी प्रक्रिया 2026 में शुरू होगी. चार साल में इसे धीरे धीरे-धीरे समंदर में उतारा जाएगा.

जब कोई स्पेस क्राफ्ट अपना उपयोग पूरी तरह करवा लेता है. तो नासा जैसी स्पेस एजंसियों के पास केवल दो ऑप्शन बचते हैं. या तो वह उस स्पेस क्राफ्ट को स्पेस में ही छोड़ दे ताकि वह वापस ना लौट सके. या फिर उसके बचे हुए ईंधन का प्रयोग कर प्वाइंट नीमो पर लाकर छोड़ दिया जाए.