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अमेरिका ने न्यूक्लियर फ्यूजन में हासिल की बड़ी सफलता, इससे पहले चीन भी बना चुका है 'नकली सूरज'

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने फ्यूज़न इग्नीशन में बड़ी सफलता हासिल की है. कैलिफोर्निया के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर दिखाया है. इससे रक्षा व स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के रास्ते खुलेंगे.

nuclear fusion/ twitter-U.S. Department of Energy nuclear fusion/ twitter-U.S. Department of Energy
हाइलाइट्स
  • न्यूक्लियर फ्यूजन को अक्सर 'कृत्रिम सूरज' कहा जाता है.

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने फ्यूज़न इग्नीशन में बड़ी सफलता हासिल की है. कैलिफोर्निया के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर दिखाया है. इससे रक्षा व स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के रास्ते खुलेंगे. हालांकि अभी भी इसमें रिसर्च की जानी बाकी है. दशकों से शोधकर्ता लैब में न्यूक्लियर फ्यूजन की कोशिश कर रहे हैं.

न्यूक्लियर फ़्यूजन पैदा करने में कामयाब हुआ अमेरिका

वैज्ञानिकों ने 5 दिसंबर को इस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए कंट्रोल्ड न्यूक्लियर फ्यूज़न एक्सपेरिमेंट किया था. पहली बार ऐसा हुआ कि न्यूक्लियर फ्यूज़न में जितनी ऊर्जा लगती है, उससे अधिक ऊर्जा पैदा हुई हो. इसका इस्तेमाल कई तरह की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है. न्यूक्लियर फ्यूजन को अक्सर 'कृत्रिम सूरज' कहा जाता है.

कम होगी जीवाश्म ऊर्जा पर निर्भरता

न्यूक्लियर फ्यूजन में सूर्य को शक्ति प्रदान करने वाली ऊर्जा का कृत्रिम रूप से उत्पादित किया जाता है. परमाणु संलयन तब होता है जब दो या दो से अधिक परमाणु एक बड़े परमाणु में जुड़ जाते हैं. अमेरिकी वैज्ञैनिकों के मुताबिक इससे जीवाश्म ऊर्जा जैसे गैस, पेट्रोल और डीजल से अमेरिका की निर्भरता कम हो सकती है. 

 

क्या है न्यूक्लियर फ्यूजन

जब दो या दो से अधिक परमाणु एक बड़े परमाणु में जुड़ जाते हैं. इस प्रक्रिया में गर्मी के रूप में भारी ऊर्जा पैदा होती है. इस प्रक्रिया को न्यूक्लियर फ्यूजन कहा जाता है. सूरज से पैदा होने वाली ऊर्जा बहुतज्यादा मात्रा में होती है अगर इस ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सके तो धरती को प्रचुर और अक्षय ऊर्जा का स्थायी स्रोत मिल सकता है. हमारे सूर्य में नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) की प्रक्रिया होती है.

इससे पहले हेफेई स्थित चीन के न्‍यूक्लियर फ्यूजन रिएक्‍टर से 1,056 सेकंड या करीब 17 मिनट तक 7 करोड़ डिग्री सेल्सियस ऊर्जा निकली थी. यह न्यूक्लियर फ्यूजन की दिशा में बड़ी सफलता थी.