हाल के महीनों में, रेडिट, टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की पोस्ट की बाढ़ आ गई है. इसमें वे सभी अपनी फर्टिलिटी और वजन घटाने वाली दवा की बात कर रही हैं. इसमें वे अपनी फर्टिलिटी के लिए ओजेम्पिक और वेगोवी जैसी वजन घटाने वाली दवाओं को जिम्मेदार बता रही हैं. इस तरह की प्रेगनेंसी को ‘ओजेम्पिक बेबीज' (Ozempic babies) नाम से पुकारा जा रहा है. साथ ही कहा जा रहा है कि इन दवाओं और बढ़ी हुई फर्टिलिटी के बीच कुछ न कुछ संबंध जरूर है.
ओजेम्पिक बेबीज की हो रही है हर जगह बात
अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर, महिलाएं ओजेम्पिक और वेगोवी की बात कर रही हैं. इन वजन घटाने वाली दवाओं का उपयोग करने वाली महिलाओं का कहना है कि इनसे उन्हें अप्रत्याशित प्रेगनेंसी का अनुभव हुआ है. टिकटॉक वीडियो और रेडिट थ्रेड उन महिलाओं की कहानियों से भरे हुए हैं जो अपनी प्रेगनेंसी के पीछे की वजह इस दवा को बता रही हैं. हालांकि, कुछ महिलाएं इसे लेकर खुश हैं तो कुछ निराश भी हैं. बांझपन के संघर्ष पर काबू पाने से लेकर बर्थ कंट्रोल के साथ कन्सीव या गर्भधारण करने तक, इसको लेकर चर्चा चारों ओर है.
क्या है ओजेम्पिक बेबीज ट्रेंड?
ओजेम्पिक बेबीज ट्रेंड में महिलाएं अपने कई तरह के एक्सपीरियंस शेयर कर रही हैं. इसमें कई महिलाओं ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि कैसे वे वजन घटाने की दवा खा रही थीं, और उन्होंने महसूस किया कि उनकी फर्टिलिटी क्षमता बढ़ी है. साथ ही कुछ ने शेयर किया कि वे बांझपन की चुनौती से जूझ रही थीं, लेकिन ओजेम्पिक या वेगोवी दवा शुरू करने के तुरंत बाद वे आसानी से प्रेग्नेंट हो गईं. महिलाओं का मानना है कि इन दवाओं का प्रभाव फर्टिलिटी पर पड़ रहा है.
वजन घटाने वाली दवा और फर्टिलिटी का कनेक्शन
हालांकि, वजन घटाने वाली दवा और फर्टिलिटी के कनेक्शन के बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स जांच कर रहे हैं. कई रिपोर्ट की मानें तो ओजेम्पिक और वेगोवी जैसी वजन घटाने वाली दवाओं में सेमाग्लूटाइड नामक एक चीज होती है, जो भूख को मैनेज करने में शामिल ब्रेन रिसेप्टर्स को टारगेट करती है. वैज्ञानिक रूप से, मोटापा हार्मोनल बैलेंस, ओव्यूलेशन और यूट्रेने रेसेप्टिविटी पर प्रभाव डालता है. वजन घटाने और मेटाबोलिज्म मैनेजमेंट को बढ़ावा देकर, ये दवाएं फर्टिलिटी क्षमता को बढ़ा सकती हैं.
वजन कंट्रोल की दवा ध्यान से लें
वजन कंट्रोल की दवा को लेकर मेडिकल एक्सपर्ट्स ने सावधानी बरतने का आग्रह किया है. साथ ही जैसे-जैसे 'ओजेम्पिक बेबीज' ट्रेंड बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मजबूत रिसर्च की जरूरत होगी. इसके लिए क्लीनिकल रिसर्च की बात कही जा रही है.