आपने लोगों को यह कहते जरूर सुना होगा कि अब बारिश में पहले जैसी बात नहीं रही. क्या कभी सोचा है ऐसा क्यों कहा जा रहा है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ गया है. सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे बहुत से नुकसानदेह केमिकल वातावरण में मिलकर एसिड रेन के तौर पर धरती पर गिरते हैं. मानसून से पहले होने वाली बारिश को अम्लीय वर्षा भी कहा जा सकता है. मौसम की पहली बारिश में वातावरण में मौजूद धूल के कण, कीटाणु, बैक्टीरिया और घुली हुई गैसें नीचे आ जाती हैं.
क्या होता है एसिड रेन
एसिड रेन को हिंदी में अम्लीय वर्षा कहते हैं. जब बारिश की बूंदों के साथ एसिडिक पानी धरती पर गिरता है तो एसिडिक रेन कहलाता है. गंदगी की वजह से हवा का पीएच मान घट जाता है जिसकी वजह से वह एसिड लगने लगता है, पिछले कई सालों से बारिश के पानी की गुणवत्ता खराब होती जा रही है. पीएच किसी द्रव की अम्लीयता और क्षारीयता मापने का मानक होता है. पीएच स्तर 1 से 14 होता है. सातपीएच वाले द्रव को न्यूट्रल और सात से कम पीएच को अम्लीय माना जाता है. एसिड रेन में वर्षा का जल 7 पीएच का न होकर 5.30 पीएच का हो जाता है. 1963 में पहली बार एसिड रेन की खोज हुई थी.
क्यों होती है अम्लीय वर्षा
अम्लीय वर्षा तब होती है जब सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे कंपाउंड हवा में छोड़े जाते हैं. ये पदार्थ वातावरण में मिलकर बारिश के रूप में नीचे गिरते हैं. दरअसल, वायु प्रदूषण की वजह से हवा में नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड मौजूद होते हैं. जब ये बारिश की बूंदों के साथ घुलकर जमीन पर गिरते हैं, तो इससे पानी अम्लीय यानी एसिडिक हो जाता है. आसान भाषा में कहें तो पावर प्लांट और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड जब बारिश के पानी धुल जाते हैं तो एसिड रेन होती है.
कितनी नुकसानदेह है एसिड रेन
यह पेड़-पौधों, जलीय जंतुओं और इंसानों के लिए भी नुकसानदायक होती है. इसलिए लोगों को सीधे बारिश का पानी पीने और इससे नहाने के लिए मना किया जाता है. कई बार यह इमारतों के रंग को पूरी तरह से बदल देती है. झीलें इससे सूख सकती हैं. अम्लीय वर्षा मिट्टी से एल्युमिनियम का रिसाव करती है. और वो एल्युमीनियम पौधों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी हानिकारक होता है. अम्लीय वर्षा मिट्टी से खनिज और पोषक तत्वों को खत्म क देती है. एसिड वाली बारिश के कारण जलीय जंतुओं का जीवन खतरे में है. क्योंकि वर्षा का जल सीधे तालाब, नदी व जलाशयों में जाता है, जो जलीय जीवों के लिए खतरनाक है.