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El Nino Effect: इस झुलसाती गर्मी के पीछे का कारण है अल नीनो, अब संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया को दी चेतावनी, जानें क्या है ये

El Nino Effect: पृथ्वी की जलवायु काफी अलग है. ये समुद्री और वायुमंडल में जितने भी बदलाव होते हैं उनकी वजह से प्रभावित होती है. अल नीनो अपने साथ कई बदलाव लेकर आता है. जैसे वैश्विक स्तर पर बारिश के पैटर्न में बदलाव. दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट जैसे क्षेत्रों में असामान्य रूप से भारी बारिश होती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन आता है.

El Nino effect El Nino effect
हाइलाइट्स
  • अब संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया को दी चेतावनी

  • इस झुलसाती गर्मी के पीछे का कारण है अल नीनो

झुलसाती गर्मी ने हर किसी को परेशान कर दिया है. अब इसको लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे एक प्रमुख जलवायु घटना बता दिया है. मौसम एजेंसी ने मंगलवार को चेतावनी दी कि इससे वैश्विक तापमान और मौसम की स्थिति में बदलाव होने वाला है. इसे उन्होंने अल नीनो इफेक्ट की शुरुआत बताया है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन का अनुमान है कि साल की दूसरी छमाही तक अल नीनो घटना के बने रहने की 90% संभावना है. 

इतना ही नहीं बल्कि यूएन ने दुनियाभर की सरकारों से तत्काल कदम उठाकर इसकी घोषणा का जवाब देने का आग्रह किया है. साथ ही इसके लिए तैयार होने को कहा है. डब्लूएमओ के महासचिव पेटेरी तालास ने कहा, "अल नीनो की शुरुआत से दुनिया के कई हिस्सों और समुद्र में तापमान रिकॉर्ड टूटने और भीषण गर्मी पैदा होने की संभावना काफी बढ़ जाएगी."

कैसे पड़ता है मौसम पर प्रभाव ?

दरअसल, पृथ्वी की जलवायु काफी अलग है. ये समुद्री और वायुमंडल में जितने भी बदलाव होते हैं उनकी वजह से प्रभावित होती है. अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टीट्यूट की मानें, तो प्रशांत महासागर की समुद्री सतह का तापमान बदलता रहता है, जिसका प्रभाव दुनिया भर में मौसम पर पड़ता है. बस इसी से जुड़ा हुआ है अल नीनो (El Nino Effect). इस अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है. 

अल नीनो कब ट्रिगर होता है?

अल नीनो तब ट्रिगर होता है जब हवाओं में कुछ बदलाव होता है. जब भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली हवाएं कमजोर हो जाती हैं, तो पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र का गर्म सतही पानी पूर्व की ओर मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र की ओर ट्रांसफर होने लगता है. इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा हो जाता है. ये तापमान 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है. इस बदलाव से दुनियाभर के मौसम पर बहुत गहरा असर पड़ता है. बारिश, ठंड, गर्मी सब में बदलाव होने लगता है. 

क्या होता है इसके आने से बदलाव?

1. बारिश के पैटर्न में बदलाव: अल नीनो अपने साथ कई बदलाव लेकर आता है. जैसे वैश्विक स्तर पर बारिश के पैटर्न में बदलाव. दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट जैसे क्षेत्रों में असामान्य रूप से भारी बारिश होती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन होता है. इसके विपरीत, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे दूसरे क्षेत्रों में कम बारिश के साथ सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

2. तापमान पर प्रभाव: अल नीनो इफेक्ट से तापमान के पैटर्न में बदलाव हो सकता है। कुछ क्षेत्रों में गर्मी का अनुभव हो सकता है, जबकि कई क्षेत्रों में सामान्य से अधिक ठंडा तापमान हो सकता है.

3. अपवेलिंग (Upwelling) का कमजोर होना: अल नीनो पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में ठंडे, पोषक तत्वों से भरपूर पानी के अपवेलिंग को बाधित करता है. समुद्री इकोसिस्टम में बदलाव होने से मत्स्य पालन और समुद्री जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है.

4. तूफान और चक्रवातों पर प्रभाव: अल नीनो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बनने को प्रभावित करता है. यह अटलांटिक बेसिन में तूफान की गतिविधि को दबा देता है, जबकि पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में इसे बढ़ा देता है. बदले हुए हवा के पैटर्न और समुद्र की सतह का तापमान इन तूफानों के बनने-बिगड़ने में भूमिका निभाते हैं.