भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO को मिशन गगनयान (Gaganyaan) की तैयारी में एक बड़ी कामयाबी मिली है. इसरो ने इस मिशन के लिए क्रायोजेनिक इंजन तैयार कर लिया है. स्पेस एजेंसी ने इसकी टेस्टिंग भी पूरी कर ली है. CE-20 क्रायोजेनिक इंजन गनगयान का एक अहम कंपोनेंट है. यह इंजन गगनयान के LVM3 लॉन्च व्हीकल के क्रायोजेनिक स्टेज को पावर करेगा. इंजन की टेस्टिंग से इसकी क्षमता का पता चलता है. इस परीक्षण के बाद इसरो मिशन के अगले चरण के लिए तैयार है. चलिए आपको मिशन गगनयान के बारे में बताते हैं.
क्या है मिशन गगनयान?
इसरो के मिशन गगनयान के तहत इंसानों को स्पेस में भेजा जाएगा. मिशन गगनयान में 3 स्पेस मिशन शामिल हैं. इसमें पहले दो मिशन मानवरहित होंगे. जबकि तीसरे मिशन में इंसान को स्पेस में भेजा जाएगा. यह इसरो का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है. इस मिशन के तहत साल 2025 में 3 लोगों की टीम को 3 दिन के लिए स्पेस में 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा, उसके बाद उनको समंदर में उतारा जाएगा. इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो लगातार परीक्षण कर रहा है. इसी के तहत सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन की भी टेस्टिंग की गई.
4 एस्ट्रोनॉट्स को दी जा रही ट्रेनिंग
इसरो का मिशन गगनयान साल 2025 में लॉन्च होगा. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 90.23 अरब रुपए खर्च किए जाएंगे. पिछले साल गगनयान टेस्ट व्हीकल स्पेस फ्लाइट को लॉन्च किया गया था. इसरो इस मिशन के लिए 4 एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग दे रहा है. बेंगलुरु के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग दी जा रही है.
LVM-3 रॉकेट से भेजे जाएंगे एस्ट्रोनॉट
मिशन गगनयान के तहत एस्ट्रोनॉट LVM-3 रॉकेट के रीकॉन्फिगर वर्जन में जाएंगे. एलवीएम3 लॉन्च व्हीकल भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है. यह तीन स्टेज वाला रॉकेट है. यह रॉकेट 400 किलोमीटर ऊपर की रक्षा में रहने वाले ऑर्बिटल मॉड्यूल को ले जाएगा. एलवीएम-3 के इंसान को ले जाने के लिए खास तौर पर बनाया गया है. इस वर्जन को HLVM3 नाम दिया गया है. ये रॉकेट क्रायोजेनिक इंजन से उड़ान भरेगा.
मिशन में गड़बड़ी आई तो क्या होगा-
अगर रॉकेट में किसी तरह की कोई गड़बड़ी आती है तो एस्ट्रोनॉट्स को बचाने की भी व्यवस्था की जाएगी. अगर मिशन में कोई दिक्कत आती है तो क्रू एस्केप सिस्टम (CES) एक्टिव हो जाएगा और एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित जगह पर ले जाएगा. इसरो ने 20 अक्टूबर 2023 को मिशन गगनयान के क्रूप एस्केप सिस्टम की सफल टेस्टिंग की थी. इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 नाम दिया गया था. ये मिशन 8.8 मिनट का था. इसे बंगाल की खाड़ी में उतारा गया था.
ऑर्बिटल मॉड्यूल में क्या होगा?
मिशन गगनयान के जरिए तीन एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजा जाएगा. इसके लिए ऑर्बिटल मॉड्यूल का इस्तेमाल होगा. ये मॉड्यूल दो भागों क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल में बंटा होगा. क्रू मॉड्यूल में क्रू मेंबर रहेंगे. जबकि सर्विस मॉड्यूल में मिशन से जुड़ी दूसरी चीजें होंगी.
क्रू मॉड्यूल में एस्ट्रोनॉट के रहने-खाने, सांस लेने और सुरक्षित लौटने के इंतजाम होंगे. जबकि सर्विस मॉड्यूल में बिजली बनाने का सिस्टम, धूप से बचाने का सिस्टम, रॉकेट को चलाने का सिस्टम और दूसरे सामान होंगे.
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