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LunaRecycle Challenge: NASA दे रहा है ₹25 करोड़ का इनाम, बस करना होगा इंसानी ‘वेस्ट’ का जुगाड़

LunaRecycle Challenge को दो चरणों में बांटा गया है. पहले चरण में इनोवेटर्स को अपने तकनीकी आइडिया का प्रस्ताव देना था. इसके लिए 31 मार्च 2025 आखिरी तारीख थी. अब मई 2025 में NASA उन विजेताओं की घोषणा करेगा जिन्हें दूसरे चरण में तकनीक विकसित करने का मौका मिलेगा.

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हाइलाइट्स
  • NASA का खुला चैलेंज

  • पृथ्वी को भी मिलेगा फायदा

क्या आप कभी सोच सकते हैं कि इंसानी मल-मूत्र (Human Waste) भी करोड़ों की कमाई का जरिया बन सकता है? अगर नहीं, तो NASA ने वो कर दिखाया है जो आपके दिमाग के बाहर था! अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने एक ऐसा चैलेंज शुरू किया है, जिसमें ₹25 करोड़ (3 मिलियन डॉलर) का इनाम रखा गया है- बस शर्त ये है कि आप एक ऐसी तकनीक बनाएं जो अंतरिक्ष यात्रियों के मल-मूत्र को रीसायकल कर सके.

जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. ये कोई मज़ाक नहीं, बल्कि एक गंभीर वैज्ञानिक चुनौती है, जिसका नाम है LunaRecycle Challenge. इसका मकसद है – चांद और मंगल पर लंबे समय तक टिके रहने के मिशन में इंसानी वेस्ट को कचरा न मानकर एक संसाधन में बदल देना.

NASA का खुला चैलेंज
NASA ने कहा है, “हम भविष्य के मानव मिशनों की तैयारी कर रहे हैं और उसमें सबसे बड़ी जरूरत होगी वेस्ट मैनेजमेंट की- ताकि जो कुछ भी अंतरिक्ष में निकले, उसका वहीं निपटारा हो सके. पृथ्वी पर लौटाने की जरूरत ही न पड़े.”

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अभी तक आप सोचते होंगे कि स्पेस मिशन में फ्यूल, फूड और ऑक्सीजन जरूरी होते हैं, लेकिन अब ‘सॉलिड वेस्ट’, यानी मल भी उतना ही अहम हो गया है. और यही कारण है कि NASA इस इनोवेशन को ग्लोबल स्तर पर आमंत्रित कर रहा है.

जब चांद पर छोड़े गए थे 96 बैग्स ‘वेस्ट’
साल 1969 में जब Neil Armstrong और उनके साथी Apollo मिशन के जरिए चांद पर पहुंचे थे, तब उन्हें चांद से चट्टानें और सैंपल्स लाने के लिए स्पेस की जरूरत थी. इसीलिए उन्होंने 96 बैग्स में इंसानी मल-मूत्र वहीं चांद की सतह पर छोड़ दिया. आज भी वो बैग्स वहां मौजूद हैं.

NASA अब नहीं चाहता कि ऐसे वेस्ट फिर से चांद या मंगल पर छोड़े जाएं. इसलिए ये चैलेंज इस बार सिर्फ स्पेस की सफाई का नहीं, बल्कि सस्टेनेबल स्पेस लाइफ का है.

क्या करना होगा इस चैलेंज में?
LunaRecycle Challenge को दो चरणों में बांटा गया है. पहले चरण में इनोवेटर्स को अपने तकनीकी आइडिया का प्रस्ताव देना था. इसके लिए 31 मार्च 2025 आखिरी तारीख थी. अब मई 2025 में NASA उन विजेताओं की घोषणा करेगा जिन्हें दूसरे चरण में तकनीक विकसित करने का मौका मिलेगा.

इसमें प्रमुख रूप से ऐसी टेक्नोलॉजी मांगी गई है जो:

  • मल और मूत्र को एक संसाधन के रूप में रीसायकल कर सके,
  • स्पेस मिशन में इस्तेमाल के लायक बायो-प्रोडक्ट बना सके,
  • किसी भी प्रकार के कचरे को धरती पर वापस लाने की जरूरत को खत्म कर सके.

सिर्फ चांद-मंगल की बात नहीं, पृथ्वी को भी मिलेगा फायदा
NASA का मानना है कि अगर ये तकनीक सफल होती है तो सिर्फ अंतरिक्ष ही नहीं, बल्कि पृथ्वी पर भी इसका बड़ा फायदा होगा. खासतौर पर- दूरदराज के क्षेत्रों में वेस्ट मैनेजमेंट, आपदा प्रबंधन के दौरान सैनिटेशन, और बायो फ्यूल उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है.