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Samudrayaan Mission क्या है, कैसे समुद्र के अंदर से होगी 'खजाने' की तलाश, जानें भारत के लिए क्यों अहम है यह मिशन

समुद्रयान मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी समुद्री मिशन है. इसके जरिए भारत गहरे समुद्र में मिलने वाले खनिज पदार्थों और जलीय जीवों के बारें में अध्ययन करेगा. सबमर्सिबल मत्स्य-6000 से तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने की योजना है. 

Samudrayaan Mission (Photo : Twitter@KirenRijiju) Samudrayaan Mission (Photo : Twitter@KirenRijiju)
हाइलाइट्स
  • मानवयुक्त सबमर्सिबल बनाने वाला भारत है 6वां देश 

  • केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मिशन के बारे में दी जानकारी 

चांद की धरती पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग और सूर्य का रहस्य पता लगाने के लिए आदित्य एल-1 को भेजने के बाद अब भारतीय वैज्ञानिकों ने समुद्र की गहराई मापने की तैयारी कर ली है. जी हां, भारत अपना पहला मानवयुक्त समुद्री मिशन भेजने की तैयारी में जुटा है, जिसे समुद्रयान नाम दिया गया है.  

क्या है समुद्रयान मिशन
समुद्रयान मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी समुद्री मिशन है. इसके जरिए भारत गहरे समुद्र में मिलने वाले खनिज पदार्थों और जलीय जीवों के बारें में अध्ययन करेगा. समुद्रयान परियोजना के तहत गहरे समुद्र के भीतर तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक सफलतापूर्वक ले जाने की योजना है. अक्टूबर 2021 में चेन्नई से भारत के पहले मानव युक्त समुद्र मिशन समुद्रयान का शुभारंभ किया गया था. समुद्रयान, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया एक स्वदेशी समुद्री मिशन है.

छह हजार करोड़ रुपए किए गए हैं आवंटित 
इस पूरी समुद्रयान परियोजना के लिए छह हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इसमें लगे सबमर्सिबल को मत्स्य-6000 नाम दिया गया है, जो टाइटेनियम धातु से बना है. इसका व्यास 2.1 मीटर है. यह यान तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाने में सक्षम है. यह सबमर्सिबल 6000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना अधिक यानी 600 बार (दबाव मापने की इकाई) प्रेशर झेल सकती है.  

क्या बोले- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू
मत्स्य-6000 की तस्वीरों को साझा करते हुए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि इसका निर्माण चेन्नई में स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान में किया जा रहा है. इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि समुद्रयान में गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने वाली योजना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को अस्त-व्यस्त नहीं करेगी. यह योजना प्रधानमंत्री की नीली अर्थव्यवस्था वाली नीति का समर्थन करती है. 

क्या है इसका उद्देश्य?
मिशन में जाने वाला वाहन मानव युक्त सबमर्सिबल मत्स्य-6000 निकल, कोबाल्ट, दुर्लभ मृदा तत्व, मैंगनीज से समृद्ध खनिज संसाधनों की खोज में गहरे समुद्र में सुविधा प्रदान करेगा. इसके साथ ही मिशन कई तरह के नमूनों का संग्रह करेगा, जिनका उपयोग बाद में विश्लेषण के लिए किया जा सकता है. इस मिशन से वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा इस मिशन से संपत्ति निरीक्षण, पर्यटन और समुद्री साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा. 

परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अभियान नीली अर्थव्यवस्था के युग में भारत के उन प्रयासों की शुरुआत करता है जो आने वाले वर्षों के दौरान भारत की समग्र अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहे हैं. भारत अक्टूबर 2021 में इस मिशन पर काम करने की शुरुआत के साथ ही अमेरिका, फ्रांस, रूस, जापान और चीन जैसे उन्नत प्रौद्योगिकी वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया था. 

समुद्रयान को कब तक भेजा जाएगा? 
2024 की दूसरी तिमाही तक मत्स्य-6000 के परीक्षण के लिए तैयार हो जाने की उम्मीद है. इसको टेस्टिंग के लिए चेन्नई तट से बंगाल की खाड़ी में छोड़ा जाएगा. यह गहरे समुद्र में 6 किलोमीटर की गहराई तक जाने के लिए तैयार किया गया है. उम्मीद है कि इस मिशन को 2026 में लॉन्च किया जाएगा. इस वाहन का डिजाइन तैयार कर लिया गया है और वाहन के विभिन्न उपकरणों और घटकों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है. इसके अंदर आपातकाल की स्थिति में 96 घंटे की इमरजेंसी इंड्यूरेंस है. जो यात्रियों को मदद करेगा.