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Climate Change and Solar Geoengineering: क्या है सोलर जियो इंजीनियरिंग, जिससे कम की जा सकती है ग्लोबल वॉर्मिंग 

कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि हम सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी से दूर रिफ्लेक्ट करने के लिए कुछ छोटे कणों को आसमान में ऊपर रख सकते हैं. या फिर हम यही काम करने के लिए स्पेस में एक शीशा लगा सकते हैं.

सोलर जियो इंजीनियरिंग सोलर जियो इंजीनियरिंग
हाइलाइट्स
  • 1992 में आया था सबसे पहले विचार

  • कम की जा सकती है ग्लोबल वॉर्मिंग 

दुनियाभर में प्रदूषण रोकने की पहल चल रही है.  जीवाश्म ईंधन को जलाने से रोकने के लिए लगातार काम किया जा रहा है. इसे लेकर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं कि क्या ग्लोबल वार्मिंग को जियो इंजीनियरिंग से रोका जा सकता है. हालांकि, इसको लेकर एक्सपर्ट काफी पॉजिटिव हैं. कहा जा रहा है कि अगर हम सूरज की किरणों को वापस स्पेस में भेज दें तो शायद धरती को ठंडा किया जा सकता है. रेडिएशन को मैनेज करने के लिए सोलर जियो इंजीनियरिंग (Solar Geoengineering) का सहारा लिया जा सकता है. इससे धरती को ठंडा करके ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है.

1992 में आया था सबसे पहले विचार 

हालांकि, वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) डालने का विचार नया नहीं है. यू.एस. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इस विचार को 1992 की शुरुआत में पेश किया था, जबकि वैज्ञानिकों ने इसे लेकर कहा था कि ज्वालामुखी विस्फोट, हवा में भारी मात्रा में SO2 उगलते हैं ऐसे में ये कहीं न कहीं धरती को ठंडा करने का काम करते हैं. 

बता दें, जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या है और हम सभी इससे निपटने के उपाय ढूंढ रहे हैं. वैज्ञानिक सोलर जियो इंजीनियरिंग को लेकर काफी पॉजिटिव हैं. यह कुछ-कुछ पृथ्वी को ठंडा करने के लिए एक विशाल छत्रछाया का उपयोग करने जैसा है. 

सोलर जियो इंजीनियरिंग क्या है?

कल्पना करें कि क्या हम पृथ्वी को ठंडा बनाने के लिए कुछ कर सकते हैं, जैसे बादल सूर्य को कैसे रोक सकते हैं और दिन को ठंडा बना सकते हैं. सोलर जियो इंजीनियरिंग भी ठीक यही है. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि हम सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी से दूर रिफ्लेक्ट करने के लिए कुछ छोटे कणों को आसमान में ऊपर रख सकते हैं. या फिर हम यही काम करने के लिए स्पेस में एक शीशा लगा सकते हैं, जिससे रेडिएशन को स्पेस में भेजा जा सके. 

क्यों हो रही है इसे लेकर बात?

दरअसल, धरती लगातार गर्म होती जा रही है. सोलर जियो इंजीनियरिंग हमें इसे  थोड़ा ठंडा करने में मदद कर सकती है. यह एक बैकअप प्लान की तरह है, इसमें हम गर्मी रोकने वाली गैसों को कम करने पर काम करते हैं. यह हमें ज्यादा गर्मी और पिघलती बर्फ जैसी चीजों से बचने में मदद कर सकता है.

इसे लेकर क्या हैं चुनौतियां?

लेकिन सोलर जियो इंजीनियरिंग को लेकर चुनौतियां और चिंताएं भी हैं. इसमें एक तो, हम ठीक से नहीं जानते कि हम इस प्लान को अप्लाई करने लगे तो क्या होगा? क्या हम जैसा सोच रहे हैं उससे उतना ही फायदा होगा या वो हमें नुकसान पहुंचा सकता है? इसे लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. इसलिए वैज्ञानिकों ने अभी तक भी इसे लागू नहीं किया है. 

फिलहाल वैज्ञानिक सोलर जियो इंजीनियरिंग को बेहतर ढंग से समझने के लिए काफी शोध कर रहे हैं.