देश के पहले राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों की घोषणा की गई है. इस साल सरकार ने 33 राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों का ऐलान किया है. इस साल से ही विज्ञान के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार की शुरुआत की गई है. देश के मशहूर बायोकेमिस्ट गोविंदराजन पद्मनाभन को पहले विज्ञान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उनको 23 अगस्त को इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. गोविंदराजन पद्मनाभन भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के पूर्व डायरेक्टर हैं. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.
कौन हैं गोविंदराजन-
गोविंदराजन पद्मनाभन फिलहाल आईआईएससी बेंगलुरु में मानद प्रोफेरसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वो भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के डायरेक्टर भी रह चुके हैं. गोविंदराजन तमिलनाडु सेंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर भी हैं. मलेरिया पैरासाइट पर पद्मनाभन के रिसर्च की इंटरनेशनल लेबल पर खूब तारीफ हुई. उनको पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार भी मिल चुका है.
गोविंदराजन की पढ़ाई-लिखाई
गोविंदराजन पद्मनाभन का जन्म 20 मार्च 1938 को मद्रास में हुआ था. उनका पालन-पोषण इंजीनियरों की फैमिली में हुआ. पद्मनाभन तमिलनाडु के तंजौर जिले के रहने वाले हैं. हालांकि बाद में वे बैंगलुरु में बस गए थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बेंगलुरु में हुई. इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया.
गोविंदराजन की इंजीनियरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी. इसलिए उन्होंने कमेस्ट्री में ग्रेजुएशन के लिए मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया. पीजी करने के लिए गोविंदराजन दिल्ली आ गए और इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद साल 1966 में उन्होंने IISc बेंगलुरु से बायोकमेस्ट्री में पीएचडी किया.
गोविंदराजन की टीम का रिसर्च-
पीएचडी करने के बाद उन्होंने रिसर्च के शुरुआत में लिवर में यूकेरियोटिक जीन के ट्रांसक्रिप्शनल रेगुलेशन में काम किया. उनकी रुचि सेलुलर प्रोसेस में हीम की बहुमुखी भूमिका को स्पष्ट करने में थी. उनकी टीम ने मलेरिया पैरासाइट में हीम-बायोसिंथेटिक पाथवे की खोज की. उनका इंटरेस्ट वैक्सीन बनाने के क्षेत्र में भी है. साल 2004 में उनकी टीम ने इसको लेकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की.
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