
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर नौ महीने से ज़्यादा समय तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद बुधवार सुबह धरती पर लौट आए. विलियम्स और विल्मोर पिछले साल जून में एक छोटे मिशन पर स्पेस स्टेशन गए थे लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी परेशानी के कारण वहीं फंस गए. अब दोनों को नौ महीने बाद धरती पर लाया गया है. हालांकि, इस पूरे समय में उनक परिवारों ने बहुत धैर्य से काम लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनीता इंटरनेट कॉल्स के जरिए अपने पति, और परिवार के दूसरे सदस्यों से जुड़ी हुई थीं.
कौन हैं सुनीता विलियम्स के पति
सुनीता विलियम्स के पति माइकल जे विलियम्स हैं जो अमेरिकी नौसेना में अधिकारी रह चुके हैं. वर्तमान में, वह टेक्सास में एक संघीय मार्शल हैं. माइकल हर मिशन में सुनीता के साथ खड़े रहे हैं. वह उन्हें इमोशनल सपोर्ट देते रहे हैं. सुनीता और माइकल की शादी को 20 साल से ज़्यादा समय हो चुका है. इस जोड़े के बीच आपसी समझ और एविएशन में बैकग्राउंड के कारण गहरा रिश्ता है. अपने-अपने करियर को आगे बढ़ाने से पहले दोनों ही हेलीकॉप्टर पायलट थे.
माइकल सुनीता के लिए प्रेरणा का निरंतर स्रोत रहे हैं. अगस्त 2024 में द वॉल स्ट्रीट जर्नल के साथ एक इंटरव्यू में, उन्होंने कहा था कि स्पेस उनकी पत्नी का 'हैप्पी प्लेस' है यानी ऐसी जगह है जहां वह सबसे ज्यादा खुश होती हैं. वह लगातार अपनी पत्नी को सपोर्ट करते हैं. सुनीता भी माइकल को इसका श्रेय देती हैं. उनका कहना है कि मिशनों के दौरान वह अपने पति के सपोर्ट के कारण पॉजिटिव रहती हैं.
सुनीता और माइकल की लवस्टोरी 1987 में शुरू हुई थी. उन दोनों ने ही मैरीलैंड में यू.एस. नवल अकादमी से ट्रेनिंग की. सुनीता एस्ट्रोनॉट बनने से पहले एक नेवी हेलिकॉप्टर पायलट थीं. एविएशन में बैकग्राउंड के कारण दोनों की दोस्ती हुई और यह धीरे-धीरे प्यार में बदल गई. दोनों ने कुछ साल बाद एक प्राइवेट सेरेमनी में शादी की. उनकी शादी को आज 20 साल से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन दोनों का एक-दूसरे के लिए प्यार और सपोर्ट आज भी बरकरार है.
मूल रूप से गुजरात से हैं सुनीता
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सुनीता के पिता दीपक पंड्या ने भी उनकी यात्रा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मूल रूप से झूलासन, गुजरात से, दीपक पंड्या 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने मेडिकल सेक्टर में एक प्रतिष्ठित करियर बनाया. 1953 में गुजरात विश्वविद्यालय में अपना इंटरमीडिएट साइंस (आईएस) पूरा करने के बाद, पंड्या ने 1957 में एमडी की उपाधि प्राप्त की. अपनी मेडिकल ट्रेनिंग पूरा करने के लिए वह क्लीवलैंड, ओहियो गए. वे केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी में एनाटॉमी विभाग में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में शामिल हुए और देश भर के विभिन्न अस्पतालों और अनुसंधान केंद्रों में काम किया.
अमेरिका पहुंचने पर पंड्या की मुलाकात स्लोवेनियाई-अमेरिकी उर्सुलाइन बोनी ज़ालोकर से हुई. कुछ ही समय बाद दोनों ने शादी कर ली. पिछले महीने ज़ालोकर ने सुनीता के मिशन के बारे में बात करते हुए कहा कि वह अपनी बेटी के लिए खुश हैं क्योंकि सुनीता वही कर रही हैं जो उन्हें पसंद है.