नींद हमारे शरीर के लिए दवा की तरह काम करती है. थकान भरे दिन के बाद सुकून भरी नींद आपको तरोताजा करने के लिए काफी है. अक्सर आपने देखा होगा कि बुजुर्गों को जल्दी नींद नहीं आती है. पर क्या आपने कभी इसका कारण जानने की कोशिश की है? क्या वजह है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ नींद भी कम आने लगती है? वैज्ञानिकों ने अब इसके पीछे के कारण का पता लगा लिया है. इस विषय पर रिसर्च करने वाली अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि दिमाग का जो हिस्सा इंसान के सोने-जागने की स्थिति को कंट्रोल करता है वो उम्र के साथ कैसे कमजोर पड़ता है, इसका पता लगा लिया गया है.
आपने अक्सर बुजुर्गों को कहते हुए सुना होगा कि उन्हें नींद नहीं आती. यहां तक कि अनिद्रा की समस्या को दूर करने के लिए बुजुर्गों को जो दवाएं दी जाती हैं. उम्र के साथ उनका भी असर घटने लगता है. आखिर बढ़ती उम्र में बुजुर्गों के साथ ऐसा क्यों होता है, अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इस गुत्थी को काफी हद तक सुलझाया है और पीछे का कारण भी बताया है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मस्तिष्क का जो हिस्सा नींद की गहराई और जागने को नियंत्रित करता है, वह कैसे समय के साथ-साथ कमजोर पड़ता जाता है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस खोज से बेहतर दवाएं बनाने में मदद मिलेगी.
उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती है नींद न आने की समस्या
रिसर्चस का कहना है कि मस्तिष्क के कुछ खास हिस्से में विशेष रसायन हाइपोक्रेटिन्स पाए जाते हैं, जिन्हें न्यूरॉन्स रिलीज करता है. उम्र बढ़ने के साथ यह रसायन घटता है और नींद न आने या सही से नींद न आने की प्रॉब्लम बढ़ती है. शोध के सहलेखक और स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लुईस डे लेसिया ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "65 साल से ज्यादा उम्र के आधे से ज्यादा लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें अच्छी नींद नहीं आती." इस बारे में किया गया रिसर्च कहता है कि नींद खराब होने का संबंध सेहत के कई पहलुओं से है. इनमें हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक, डायबिटीज, डिप्रेशन और अल्जाइमर तक शामिल हैं.
चूहों पर किया गया प्रयोग
शोध के लिए डे लेसिया और उनके साथियों ने मस्तिष्क के उन रसायनों का अध्ययन किया जिन्हें हाइपोक्रेटिंस (Hypocretins) कहते हैं. ये रसायन आंखों और कानों के बीच के हिस्से में मौजूद न्यूरॉन्स पैदा करते हैं. ब्रेन में मौजूद अरबों न्यूरॉन्स में से सिर्फ 50 हजार ही हाइपोक्रेटिंस पैदा करते हैं. बढ़ती उम्र में नींद न आने की समस्या को समझने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चूहों पर प्रयोग किया. इसके लिए चूहों के दो ग्रुप बनाए गए. पहले ग्रुप में 3 से 5 महीने के और दूसरे ग्रुप में 18 से 22 महीने की उम्र वाले चूहों को रखा गया. लाइट का इस्तेमाल कर उन चूहों के दिमाग के न्यूरॉन्स को उत्तेजित किया गया. इसके बाद इमेजिंग तकनीक से ब्रेन की जांच की गई. जांच में कई बातें सामने आईं. रिपोर्ट में सामने आया कि युवा चूहों के मुकाबले अधिक उम्र वाले चूहों ने 38 फीसदी तक ज्यादा हाइपोक्रेटिन्स गंवाए.
अनिद्रा की समस्या को दूर करने वाली दवाएं तैयार की जा सकेंगी
वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि बुजुर्ग चूहों में जो हाइपोक्रेटिंस बचे थे वे बहुत आसानी से उत्तेजित किए जा सकते थे, यानि जीवों के जागे रहने की संभावना बढ़ाते थे. डे लेसिया के मुताबिक, न्यूरॉन्स के ज्यादा सक्रिय रहने से इंसान के ज्यादा जागने की संभावना बढ़ती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसर्च के नतीजों की मदद से अनिद्रा की समस्या को दूर करने वाली बेहतर दवाएं तैयार की जा सकेंगी. साथ ही उम्र के साथ दवाओं के कम होते असर को कंट्रोल किया जा सकेगा. बुजुर्गों में अनिद्रा की समस्या को कैसे दूर किया जाए रिसर्च के परिणाम इन बातों को समझने में भी मदद करेंगे.