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बुलेट ट्रेन से जा सकेंगे चांद और मंगल ग्रह पर! स्पेससूट की भी नहीं पड़ेगी जरूरत, जानें जापान के इस नए प्रोजेक्ट के बारे में

जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन मिलकर एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जिसकी बदौलत बुलेट ट्रेन से मंगल ग्रह और चांद पर जा सकेंगे. इसेक लिए वे एक ग्लास बनाने वाले हैं जो एक आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट की तरह होगा. ये ठीक पृथ्वी की तरह होगा.

Bullet Train Bullet Train
हाइलाइट्स
  • एक कैप्सूल करेगा पृथ्वी को मंगल और चांद से लिंक 

  • स्पेससूट भी पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी 

हॉलीवुड फिल्मों में हम कई सारी ऐसी चीजें देखते हैं जिनपर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है. अब जरा सोचिये कोई आप से कहे कि मंगल ग्रह और चांद पर बुलेट ट्रेन तो क्या आप विश्वास करेंगे? शायद नहीं! लेकिन ऐसा सचमें होने वाला है. ये काम और कोई नहीं बल्कि जापान करने वाला है. 
दरअसल, बीते हफ्ते ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जापान ने बुलेट ट्रेन से जुड़ी इस योजना के बारे में बताया है. जापान जीरो और कम ग्रैविटी वाले वातावरण में ग्लास हैबिटेट बनाने वाला है. ये हैबिटैट ठीक धरती जैसा होगा. इसकी ग्रैविटी, भूभाग और वातावरण पृथ्वी जैसा होगा. ताकि इंसान आसानी से वहां जा पाएं. 

एक कैप्सूल करेगा पृथ्वी को मंगल और चांद से लिंक 

 दरअसल, कम ग्रेविटी की वजह से मानवीय शरीर अंतरिक्ष में ठीक से काम नहीं कर सकता है. अंतरिक्ष का वातावरण इंसानी शरीर के लिए अनुकूल नहीं है. इसी लिए इस कैप्सूल के वातावरण को पृथ्वी जैसा बनाया जाएगा.  

आपको बात दें, इस योजना पर जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन मिलकर काम कर रहे हैं. इसके लिए वे एक ग्लास बनाने वाले हैं जो एक आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट की तरह होगा. इसमें नकली ग्रैविटी होगी. इतना ही नहीं यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी होगी, पेड़-पौधे होंगे और नदियां भी होंगी. दिखने में ये धरती के जैसा ही होगा.

Space lounge inside (Photo: AFP)
Space lounge inside (Photo: AFP)

स्पेससूट भी पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी 

मीडिया रिपोर्ट्स के मताबिक, ये ग्लास एक कॉलोनी के जैसा होगा. इसे चांद और मंगल ग्रह पर बनाया जाएगा. और तो और सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें आपको किसी तरह के  स्पेससूट पहनने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी. पिछले सप्ताह इसे लेकर एक ढांचा भी दिखाया गया था. 

शोधकर्ताओं की मैंने तो साल 2050 तक इसका प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा. वहीं इस पूरी योजना को एक्सेक्यूट होने में पूरा एक सदी का समय लग जाएगा. शोधकर्ताओं ने बताया कि चांद जो कॉलनी  बनाई जायेगी इसका नाम लूनाग्लास रखा जाएगा. वहीं जो मंगल ग्रह पर कॉलोनी बनेगी उसे मार्सग्लास कहा जाएगा. आसान शब्दों में समझें तो ये ट्रेन इस टाइप का इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम होगा. इसे हेक्साट्रैक कहा जाएगा.