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नगालैंड शूटआउट को AFSPA कानून से जोड़ना कितना सही? समझिए

4 दिसंबर को नगालैंड के ओटिंग में जो हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है. नागरिकों को पहचानने में जो गलती हुई, उसकी कीमत 14 लोगों को अपनी जिंदगी देकर चुकानी पड़ी. केंद्र सरकार ने भी माना कि सेना ने नागरिकों को पहचानने में गलती की. यही वजह रही उस घटना की तह तक जाने के लिए SIT जांच तक का ऐलान कर दिया गया. लेकिन इसी गोलीकांड के बहाने 63 साल पुराने एक कानून को फिर हटाने की मांग शुरू हो चुकी है. AFSPA नाम का ये कानून सेना को नगालैंड में विशेष अधिकार देता है. ऐसे में आज इसी मामले पर करने जा रहे हैं हम 7 सवाल.

What happened at Opting in Nagaland on 4th December is unfortunate. The mistake made in recognizing the citizens cost 14 people their lives. The central government also admitted that the army made a mistake in identifying the civilians. This was the reason that even SIT investigation was announced to get to the bottom of that incident. But on the pretext of this shooting, the demand for repeal of a 63-year-old law has started. This law named AFSPA gives special powers to the army in Nagaland.