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अनूप जलोटा के सुरों में संगीतमय भजन, देखें अच्छी बात

भगवान का खेल बड़ा निराला है किसी से कुछ ले लेता है, तो उससे भी ज्यादा कुछ दे देता है. इस शो में बात रवींद्र जैन की. रवींद्र जैन जिन्हें हम प्यार से दादू कहते हैं उन्हें भगवान ने ऐसी सकती दी कि उन्होंने एक से एक बेतरीन गाने लिखे और गए. आज इस शो के माध्यम से हम आप तक भी ये बात पहुंचाना चाहते हैं कि आप भी कष्ट में से सुख ढूंढिए और अपने अंदर की प्रतिभा को पहचानिए. उसके बाहर आने से आप अपने कष्ट भूल जाएंगे. 28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में रवींद्र जैन का जन्म हुआ था. रविंद्र जैन मनोरंजन जगत का एक अभिन्न हिस्सा थे. रामानंद सागर की रामायण में जिस मधुर आवाज को सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे वो आवाज रवींद्र जैन की थी. रवींद्र जैन बचपन से नेत्रहीन थे. सुनिए अनूप जलोटा के सुरों में संगीतबद्ध भक्ति में सराबोर कर देने वाले भजन.

Ravindra Jain, the visually challenged musician was one such composer who understood and always upheld the importance of melody in his songs.Jain started singing ‘bhajans’ at temples from an early age. His parents recognised his talent and sent him to Pt GL Jain and Pt Janardhan Sharma for formal education in music. This turned out to be the calling of his life as music became little Ravindra’s life.It was a song called ‘Ghungroo ki tarah’ from the 1974 film Chor Machaye Shor that brought him in the limelight.