करोड़ों साल पहले देव–दानव संघर्ष से निकले ‘अमृत कुंभ’ को जागृत करने का महापर्व इस बार प्रयागराज में है. प्रयागराज में वैसे तो हर वर्ष एक महीने का माघमेला होता है, जिसमें हजारों कल्पवासी और साधु-संत आते हैं. पर, हर छठे वर्ष अर्धकुंभ और बारहवें बरस पर कुंभ में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी की छटा अद्वितीय होती है. इस बार महाकुंभ का शुभारंभ 13 जनवरी से हो रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ में गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है. तो आइये इसके महत्व और इसके इतिहास के बारे में जानते हैं. महाकुंभ की कहानी.... महाकुंभ की जुबानी.