1984 में सियाचिन में ऑपरेश मेघदूत के दौरान लांस नायक हरबोला ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. पेट्रोलिंग के दौरान एक हादसे में उनकी पूरी टीम बर्फीले तूफान में समा गई थी. बहुत तलाश करने के बाद भी कैप्टन हरबोला का कोई नामो निशान नहीं मिला था. 13 अगस्त को जब सारा देश आज़ादी के अमृत महोत्सव के जश्न में डूबा था. ठीक उसी वक्त सियाचिन की बर्फीली पहाड़ियों पर आर्मी की एक पेट्रोलिंग टीम सर्च ऑपरेशन पर निकली थी. सर्च ऑपरेशन के दौरान टीम को बर्फ़ के बीचों बीच एक बंकर में जो मिला उसे देखकर वो हैरान रह गए. ये एक शहीद का पार्थिव शरीर था. उसी शाम हल्द्वानी में लांस नायक चंद्रशेखर की पत्नी को फोन किया गया. ये वही कॉल था जिसका इंतज़ार वो पिछले 38 साल से कर रही थीं. देखें जीएनटी स्पेशल.
Lance Naik Chandrashekhar Harbola made the supreme sacrifice for the country during Operation Meghdoot in Siachen in 1984. Now after 38 years, his body was found buried in the snow. Watch the video to know more. Watch the video to know more.