सन् 1943 में दरभंगा के महाराज के राज पंडित के घर जन्मे स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का बचपन आसान नहीं रहा. स्वामी निश्चलानंंद उर्फ नीलांबर झा ने महज ढाई साल की उम्र में पिता को खो दिया, जबकि साढ़े तीन साल की उम्र में मां का साया सिर से उठ गया. इन कठिनाइयों के बाद नीलांबर झा कैसे बन गए गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य? देखिए जीएनटी टीवी की खास पेशकश 'बंदेे में है दम' में.
Swami Nischalanand Saraswati, born in the year 1943 in the house of Raj Pandit of the Maharaja of Darbhanga, did not have an easy childhood. Swami Nishchalanand alias Nilambar Jha lost his father at the age of just two and a half years, while his mother died at the age of three and a half years. After these difficulties, how did Nilambar Jha become the Shankaracharya of Govardhan Peeth? Watch GNT TV's special show 'Bande Mein Hai Dum.'