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सरहद पार जहां होती है Maa Bhawani की जयकार, जानिए Maa Hinglaj Bhawani के Raisen पधारने की कहानी

बात जब आस्था की हो तो देश का, भाषाएं कहीं पीछे छूट ही जाती हैं. भगवान और भक्त के बीच सिर्फ भाव का ही तो रिश्ता होता है। शक्ति का चाहे जो स्वरूप सामने हो भक्त की आंखें उन्हें पहचान लेती हैं. जैसे प्रयागराज के इस अनोखे देवी धाम को ही लीजिए जहां कोई मूर्ति नहीं बल्कि देवी के झूले यानी पालने की पूजा होती है. तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पर मौजूद इस शक्तिपीठ में दुनिया भर के भक्तों की अगाध आस्था है और खास तौर पर नवरात्र के नौ दिनों में तो इस शक्ति पीठ की रौनक अलग ही होती है.