इस वीडियो में ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि शनि का आयु से क्या संबंध है. आयु और जीवन पर शनि का क्या प्रभाव है. शनि कब लंबी आयु का वरदान देते हैं. शनि की उपासना करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखें.
इस वीडियो में ज्योतिष शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि एकाग्रता क्या है. एकाग्रता की समस्या क्यों होती है. एकाग्रता की समस्या के कारण क्या-क्या हैं. एकाग्रता के लिए कौन-कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं.
ज्योतिष में निर्णय लेने की क्षमता पंचम,नवम तथा एकादश भाव से देखी जाती है. अलग अलग तत्वों से अलग अलग तरह की निर्णय लेने की स्थितियां बन जाती हैं. इसी प्रकार अलग अलग ग्रह निर्णय क्षमता पर अलग अलग प्रभाव डालते हैं. चन्द्रमा मन का कारक होता है अतः निर्णय क्षमता में इसकी विशेष भूमिका होती है. हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठा निर्णय क्षमता को दर्शाता है.
नमक को एक विशेष तरह का रसायन कहा जा सकता है. यह कई प्रकार का होता है. इसमें समुद्री नमक और पहाड़ी नमक प्रमुख है. पहाड़ी नमक को सेंधा नमक कहते हैं, व्रत में इसका खूब प्रयोग होता है. ज्योतिष में दोनों ही प्रकार के नमकों का अलग अलग प्रयोग होता है. ज्योतिष में इसको शुक्र और चन्द्रमा से जोड़ते हैं. इसके प्रयोग से शुक्र और चन्द्रमा सीधे प्रभावित होते हैं. दैनिक जीवन में इसके प्रयोग में विशेष सावधानी रखनी चाहिए
चन्द्रमा मन का कारण होता है और इसकी स्थिति देखकर मन को जान सकते हैं. चन्द्रमा कमजोर हो तो मन और वाणी पर नियंत्रण नहीं रहता. अगर इसमें अग्नि तत्त्व के ग्रह जैसे मंगल या सूर्य आ जाएं तो व्यक्ति क्रोधी होता है. मंगल अगर नीच राशी का हो या बिगड़ा हुआ हो तो व्यक्ति बहुत क्रोधी होता है. जिन लोगों का जन्म ग्रीष्म या वर्षा का हो, उन्हें भी काफी क्रोध आता है. जिनका जन्म दोपहर का हो ऐसे लोगों को भी काफी क्रोध आता है.
ईश्वर से अपने मन और ह्रदय की बात कहना प्रार्थना है. प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ती का प्रयास करता है. तंत्र , मंत्र , ध्यान और जप भी प्रार्थना का ही एक रूप हैं. प्रार्थना सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है और प्रकृति को तथा आपके मन को समस्याओं के अनुरूप ढाल देती है. कभी कभी बहुत सारे लोगों द्वारा की गयी प्रार्थना बहुत जल्दी परिणाम पैदा करती है. ऐसी दशा में प्रकृति में तेजी से परिवर्तन होने शुरू हो जाते हैं.
इस वीडियो में ज्योतिष शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि पौष मास की महिमा क्या है. पौष मास का महत्व क्या है. पौष मास में सूर्य देव की उपासना कैसे करें. इस समय खान-पान में किस तरह की सावधानी रखें.
इस वीडियो में ज्योतिष शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि सूर्य का धनु राशि में प्रवेश की महिमा क्या है. सूर्य के राशि परिवर्तन से शुभ कार्य बंद होने के महत्व क्या है. राशि परिवर्तन का किन राशियों को होगा लाभ और किन राशियों के लिए बढ़ेगी समस्या. राशि परिवर्तन का ज्योतिष में महत्व है.
कुंडली का तीसरा छठवां और ग्यारहवां भाव पराक्रम का होता है. इन भावों के मजबूत होने पर व्यक्ति कर्मठ होता है. जबकि इन भावों के कमजोर होने पर व्यक्ति आलसी हो जाता है. शनि कमजोर हो तो आलस्य की सम्भावना ज्यादा होती है. अग्नि तत्व के कमजोर होने पर भी व्यक्ति के अंदर आलस्य आ जाता है. चन्द्रमा और शुक्र भी आलस्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
मंत्र कुछ विशेष प्रकार के शब्दों की एक संरचना है. इनका विधि पूर्वक जाप करने से सृष्टी की समस्त उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं. यहाँ तक कि सिद्ध मंत्रों के जाप से मुक्ति और मोक्ष तक प्राप्त किया जा सकता है. मंत्र वास्तव में दो शब्दों के ही होते हैं जिनका श्वास-प्रश्वास पर जाप किया जा सके. बाकी जिनको हम मंत्र समझते हैं , वो या तो ऋचाएं हैं या श्लोक -बीज मंत्र के साथ प्रयोग करने पर ऋचाएं और श्लोक भी पर्याप्त लाभकारी होते हैं. मंत्र दो तरह के होते हैं-एक मंत्र वो हैं जिनको कोई भी जप सकता है और -दूसरे वो, जो केवल व्यक्ति विशेष के लिए होते हैं.
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को आती है. इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का दिन कहा जाता है. इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति सम्भव होती है. इस दिन दान का फल अनंत गुना मात्र में प्राप्त होता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी.