तंत्र साधना में , विशेष रूप से शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है. भैरव वैसे तो शिव जी के ही रौद्र रूप हैं , परन्तु कहीं कहीं पर इनको शिव का पुत्र भी माना जाता है. कहीं कहीं पर ये भी माना जाता है कि , जो कोई भी शिव के मार्ग पर चलता है , उसे भैरव कहा जाता है. इनकी उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है , व्यक्ति को अदम्य साहस मिल जाता है. शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है. मार्गशीर्ष में भगवान भैरव की विशेष उपासना कालाष्टमी पर की जाती है. इस बार कालाष्टमी 22 नवम्बर को मनाई जाएगी.
बुध जब कन्या या मिथुन राशी में हो तब "भद्र" योग बनता है. परन्तु यह योग लग्न से केंद्र में होना चाहिये. इससे व्यक्ति धनवान और अत्यंत बुद्धिमान बनता है. इससे व्यक्ति को खूबसूरती , वाणी , बुद्धि और चतुराई का वरदान मिलता है. भद्र योग वाले वाले व्यक्ति वाणी के क्षेत्र में और अभिव्यक्ति के क्षेत्र में पाये जाते हैं. इस योग वाले लोग आर्थिक क्षेत्रों में भी उच्च पदों पर पाये जाते हैं. इन लोगों को अपनी बुद्धि का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए.
तिलक लगाना , हिन्दू परम्परा में प्रयोग किया जाने वाला एक विशेष कार्य है. बिना तिलक लगाये , न तो पूजा की अनुमति होती है और न ही पूजा संपन्न मानी जाती है. तिलक दोनों भौहों के बीच में , कंठ पर या नाभि पर लगाया जाता है. तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इससे स्वास्थ्य उत्तम होता है ,मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है. साथ ही ग्रहों की उर्जा संतुलित हो पाती है , भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है.
जब चन्द्रमा से पिछले भाव में कोई ग्रह हो तो अनफा योग बनता है परन्तु यह ग्रह सूर्य, राहु या केतु नहीं होना चाहिये. इस योग के होने से व्यक्ति को जीवन में खूब सारी सुख सुविधा मिलती है. व्यक्ति खूब सारी यात्राएँ करता है और अत्यंत व्यवहार कुशल होता है. अनफा योग के होने से व्यक्ति राजनीति में भी सफलता पा जाता है. इस योग के होने पर एक चांदी का कडा जरूर धारण करें - घर को ख़ास तौर से शयन कक्ष को साफ़ सुथरा रक्खें - घर में फूल और फूलों की सुगंध का प्रयोग करें.
यह हिन्दू पंचांग का नौवां महीना (Margashirsha Month 2024) है. इसे अग्रहायण या अगहन का महीना भी कहते हैं. इसे हिन्दू शास्त्रों में सर्वाधिक पवित्र महीना माना जाता है. यह इतना पवित्र है कि भगवान गीता में कहते हैं कि महीनों में, मैं मार्गशीर्ष हूँ. इसी महीने से सतयुग का आरम्भ माना जाता है.
सूर्य 16 नवम्बर को प्रातः वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं . इस राशि में सूर्य की स्थिति बेहतर मानी जाती है. सूर्य अपनी कमजोर स्थिति से बाहर आ जायेंगे - सूर्य अब यहाँ बुध, गुरु और शनि के प्रभाव में रहेंगे.
Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है. इस पूर्णिमा का शैव और वैष्णव, दोनों ही सम्प्रदायों में बराबर महत्व है. इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था. इसी दिन गुरुनानक देव का जन्म भी हुआ था अतः इसको प्रकाश और गुरु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
नीम एक बहुतायात में पाया जाने वाला वृक्ष है. यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसलिए आम जीवन में इसका खूब प्रयोग होता है. इसकी पत्तियों से लेकर इसके बीज तक सब कुछ अत्यंत उपयोगी होते हैं. देखिए किस्मत कनेक्शन.
हनुमान जी भक्ति और शक्ति के अद्भुत प्रतीक हैं. ये सरल भक्ति और प्रेम से शीघ्र प्रसन्न होते हैं. इन्होंने ही लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी. हनुमान जी के विशेष मन्त्र और स्तुतियों के पाठ से स्वास्थ्य का लाभ हो सकता है. इनमें भी अगर विशेष तरीके से "हनुमान बाहुक" का पाठ किया जाय तो हर बीमारी में सुधार हो सकता है.
Dev Uthani Ekadashi 2024: माना जाता है कि ,भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं, फिर पुनः कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं. इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. जब देव (भगवान विष्णु ) जागते हैं, तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है. देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी कहते हैं.
अलग अलग ग्रहों के साथ इसका सम्बन्ध होने पर भावनाओं का अलग-अलग रूप हो जाता है. पाप ग्रह भावनाओं को दूषित कर देते हैं और शुभ ग्रहों से भावनाएं शुद्ध हो जाती हैं. भावनाएं सबसे ज्यादा दूषित होती हैं.