मोती मुख्यतः रत्न नहीं बल्कि एक जैविक संरचना है. बावजूद इसके , इसको नवरत्नों की श्रेणी में रखा जाता है. यह मुख्य रूप से चन्द्रमा का रत्न है. कभी कभी विशेष रूप से औषधि के रूप में भी इसका प्रयोग होता है. चन्द्रमा की तरह उसका रत्न भी शांत,सुन्दर और शीतल होता है. इसका प्रभाव सीधा मन और शरीर के रसायनों पर पड़ता है. मोती का प्रभाव कभी तेज नहीं होता , यह धीरे-धीरे और सूक्ष्म असर डालता है. इसलिए लोगों को लगता है कि मोती कभी नुकसान नहीं कर सकता. जबकि मोती धीरे धीरे काफी नुकसान पहुंचा सकता है.