कुंडली का तीसरा छठवां और ग्यारहवां भाव पराक्रम का होता है. इन भावों के मजबूत होने पर व्यक्ति कर्मठ होता है. जबकि इन भावों के कमजोर होने पर व्यक्ति आलसी हो जाता है. शनि कमजोर हो तो आलस्य की सम्भावना ज्यादा होती है. अग्नि तत्व के कमजोर होने पर भी व्यक्ति के अंदर आलस्य आ जाता है. चन्द्रमा और शुक्र भी आलस्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं.