सूर्य 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेंगे. इस राशि परिवर्तन से मेष, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि वालों को लाभ मिलने की संभावना है. मेष संक्रांति पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से विजय, आरोग्यता और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान मिल सकता है. यह स्तोत्र सभी प्रकार के शत्रुओं को दूर करने में सहायक माना जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति का व्यक्ति के जीवन और रिश्तों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु. इन सभी ग्रहों का अलग-अलग रिश्तों पर प्रभाव होता है. ग्रहों की शुभ स्थिति से रिश्तों में मधुरता आती है, जबकि अशुभ प्रभाव से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. ज्योतिषीय उपायों से इन ग्रहों को अनुकूल बनाकर पारिवारिक संबंधों में सुधार लाया जा सकता है.
हनुमान जी की कृपा पाने के लिए सिंदूर, चमेली का तेल, ध्वज, तुलसी दल और राम नाम का महत्व बताया गया है। सिंदूर अर्पित करने से कर्ज, मर्ज और दुर्घटना से बचाव होता है। चमेली का तेल चढ़ाने से मन एकाग्र होता है और आँखों की रौशनी बढ़ती है। ध्वज चढ़ाने से नाम और यश बढ़ता है। तुलसी दल से हनुमान जी तृप्त होते हैं। राम नाम हनुमान जी को सबसे प्रिय है।
हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष कार्यक्रम में हनुमान जी की महिमा और उनकी पूजा के महत्व पर चर्चा की गई. कल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इस दिन हनुमान जी की पूजा से सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है. मंगल दोष, आर्थिक समस्या, शिक्षा में सफलता और स्वास्थ्य लाभ के लिए अलग-अलग तरीके से पूजा करने का सुझाव दिया गया। हनुमान चालीसा का पाठ और सुंदरकांड का आयोजन भी इस दिन विशेष माना जाता है.
गुरु प्रदोष व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि गुरु प्रदोष पर व्रत रखने और पूजा करने से संतान संबंधी बाधाएं दूर होती हैं, शत्रु शांत होते हैं और मुकदमों में विजय मिलती है। इस दिन शिवलिंग का पंचामृत स्नान, बेलपत्र अर्पण और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप किया जाता है।
मुंह में राम बगल में छुरी, ये कहावत तो हम सभी ने सुन रखी है. कुछ लोगों की फितरत होती है वो अपने स्वार्थ के अनुसार दूसरे इंसान से व्यवहार करते हैं. किसी के भरोसे के साथ छल करते हैं या यूं कहें कि अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं और अपना मतलब निकलने पर पहचानते तक नहीं है. आज के एपिसोड में हम यहीं जानने की कोशिश करेंगे कि जीवन में क्यों मिलता हैं हमें धोखा. और इसके पीछे के ज्योतिषीय कारण कौन से होते हैं और कुंडली में कौन से भाव इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. साथ ही जानेंगे इस धोखे के संकट से बचने का निवारण.
एक ऐसा पीड़ा है कोर्ट कचहरी की, मुकदमेबाजी की हममें से कोई भी ऐसा नहीं होगा जो अदालतों के दर्शन करना चाहता हो. लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी निर्मित हो जाती है कि हमें न चाहते हुए भी अदालतों का रुख करना पड़ता है.काली कोट वाले वकील साहब से केस जितवा देने की मिन्नतें करनी पड़ती है. जज साहब की बार-बार आगे बढ़ती तारीखों से मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है. ज्योतिष शास्त्र मानता है कि जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना का संबंध हमारे ग्रह नक्षत्रों से होता है. कहते हैं कि कुंडली के मंगल की दशा अनुकूल न हो. तो उस व्यक्ति को न्यायालय के चक्कर लगाना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं कि क्यों हमें न्याय के मंदिर में भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
सनातन धर्म में कामदा एकादशी का खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साथ ही एकादशी पर फलाहार व्रत रखा जाता है. चलिए जानते हैं कामदा एकादशी किस दिन पड़ रही है. कब है कामदा एकादशी का तिथि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 अप्रैल को रात 08 बजे शुरू होगी जो 08 अप्रैल को रात 09.12 बजे पर समाप्त होगी. उदया तिथि को देखते हुए 08 अप्रैल को कामदा एकादशी मनाई जाएगी. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने से इंसान के सभी मनोरथ सफल होते हैं. भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति के साथ ही जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है ज्योतिषियों की मानें को कामदा एकादशी पर कुछ खास योग रहे हैं.
काशी में गंगा नदी के किनारे स्थित माँ विशालाक्षी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां मां सती का मुख गिरा था. मान्यता है कि 41 मंगलवार तक लगातार कुमकुम चढ़ाने से माँ हर कष्ट काट देती हैं. मंदिर का गर्भगृह छोड़कर पूरा दरबार दक्षिण भारतीय शैली में बना है. मां विशालाक्षी को कांचीपुरम की महाकामाक्षी और मदुरई की मीनाक्षी की बहन माना जाता है.
मां भगवती की आराधना के महापर्व कल रामनवमीं के साथ ही समापन हो जाएगा. कल आदि शक्ति की उपासना सिद्धिदात्री के स्वरूप में की जाएगी. अगर आपने अभी नवरात्र में किसी भी दिन देवी की उपासना नहीं की है तो देवी के आखिरी स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा आपको पूरे नवरात्र का फल दिला सकती है. देवी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना से सर्व कार्य सिद्ध किए जाते हैं. अगर आप जीवन में किसी भय से परेशान है तब भी मां सिद्धिदात्री के आराधना आपके लिए वरदान साबित हो सकती है.
दुर्गा का सबसे विकराल स्वरूप मां दुर्गा का सातवां रूप हैं मां कालरात्रि. इनका ये स्वरूप दुष्टों के लिए महाभयंकर है.. शरीर का रंग घने अंधकार के जैसा है. इनके बाल बिखरे रहते हैं और गले में बिजली सी चमकने वाली माला है. माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में बेहद भयानक है, लेकिन ये हमेशा ही शुभ फल ही देने वाली हैं। इसीलिए इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है. भक्तों को इनसे किसी प्रकार भी भयभीत होने की जरुरत नहीं..दुष्टों और राक्षसों के दमन के लिए ही देवी मां ने ये संहारक अवतार लिया था.. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो मां काली की उपासना से जीवन की हर बाधा से छुटकारा मिल सकता है. मां कालरात्रि और मां काली के रूप-स्वरूप को लेकर लोगों के बीच एक भ्रम बना रहता है कि दोनों एक देवी के रूप हैं. तो क्या मां काली और मां कालरात्रि एक हैं या दोनों शक्ति के दो स्वरूप हैं.