हनुमान जी के आशीर्वाद के आगे किसी भी बुरी ताकत की कोई बिसात नहीं होता जो आपको वो परेशान करे. बजरंग बली अपने अलग अलग रूपों में अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. हनुमान जी का हर रूप कल्याणकारी है. हनुमान जी को हम कई रूपों में देखते हैं. कभी वो संजीवनी उठाए लक्ष्मण जी के प्राण बचाते नजर आते हैं तो कभी गदा उठाए शत्रुओं का नाश करते हुए. लेकिन प्रभु हनुमान को मंत्रों के जाप से शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है.
भगवान शिव हर रोग और बीमारी से मुक्ति दिला सकते हैं. भगवान शिव के सहस्त्र रूप हैं. हर रूप में वो अलग अलग तरीके से भक्तों की समस्या का समाधान करते हैं. भगवान शिव का वह स्वरुप जो भक्तों की रोगों से रक्षा करता है, वो है मृत्युंजय स्वरुप. इस स्वरुप में महादेव भक्तों की आयु रक्षा भी करते हैं. छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बीमारी शिव के इस स्वरुप की उपासना से दूर हो जाती है. ऐसा माना जाता है कि शिव के मृत्युंजय़ स्वरूप की उपासना से. अकाल मृत्यु पर विजय पाई जा सकती है. तो कैसा है महादेव का मृत्युंजय स्वरूप आइए जानते हैं.
श्रीराम के मंत्र आपके दुखों का अंत करेंगे. श्रीराम के मंत्र बेहद चमत्कारी हैं. भगवान श्रीराम के मित्रों का जाप आपकी मनचाही मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है. आज हम आपको श्रीराम के 10 शक्तिशाली महामंत्र के बारे में बताते हैं, जो आपकी हर परेशानी को दूर देंगे.
'प्रार्थना हो स्वीकार' में आज हम रुद्राक्ष बारे में बताते हैं. आदि अनंत महादेव की महिमा अपरंपार है और उनके द्वारा धारण की गई वस्तुओं का भी धार्मिक महत्व है. आज हम आपको महादेव की महाशक्ति रुद्राक्ष के बारे में बताते हैं. माना जाता है कि रुद्राक्ष महादेव के नेत्रों से निकला है. माना यह भी जाता है कि रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियां परेशान नहीं करती. आज हम रुद्राक्ष की महत्व और महिमा के बारे में आपको बताते हैं.
धन की इच्छा सभी को है. धन को तिजोरियों में भरा हुआ देखना भला कौन नहीं चाहता है. लेकिन कहते हैं ना कि मां लक्ष्मी चंचला हैं..वो कहीं भी कभी भी एक जगह टिक कर नहीं रहती हैं. लेकिन अगर लक्ष्मी की कृपा मिल जाए तो जीवन सुख में बीतता है. अब ऐसे में सवाल ये कि कैसे मिलेगी मां लक्ष्मी की कृपा...आखिर क्या जतन किए जाएं जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर ऐसा वरदान दें.
नियमित संध्या उपासना करने से तमाम रोग-दोष स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं. धर्म ग्रंथों और पुराणों में भी संध्या पूजन का वर्णन किया गया है. तो आइए जानते हैं कि धार्मिक परंपराओं में संध्या उपासना क्यों है इतनी महत्वपूर्ण. हिन्दू धर्म में तीन वेला पूजा करने का विशेष महत्व है.सुबह , दोपहर और शाम की पूजा - शाम के समय की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है. इसे ही संध्या पूजन कहते हैं. संध्या पूजा करने से विशेष तरह के शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है.
शास्त्रों में सूर्य की साधना को सौभाग्य में वृद्धि करने वाली बताया गया है. मान्यता है कि सूर्य को रोजाना अर्घ्य देने से आपके सम्मान में वृद्धि होती है और यश की प्राप्ति होती है. कहते तो यहां तक हैं कि जिन कन्याओं के विवाह में देर हो रही है वे रोजाना सूर्य को अर्घ्य दें तो उनके जीवन में शीघ्र ही विवाह के योग बनने लगते हैं. इसलिए सूर्य को रोजाना अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और सेहत बेहतर होती है. साथ ही पिता के साथ आपके रिश्ते भी मजबूत होते हैं.
आज हम आपको महाबली हनुमान की शीघ्र कृपा पाने के रहस्य बताने वाले हैं. हम आपको मंगलमय हनुमान और पान से जुड़ी कुछ अद्भुत बातें बताने वाले हैं. क्योंकि मंगलवार को भक्तराज हनुमान को पान चढ़ाने का रिवाज सालों से चला आ रहा है. मंगलवार के दिन हनुमान जी को विशेष पान अर्पित करने से जीवन की हर समस्या हर लेते हैं संकटमोचन. कहते हैं कि इनकी उपासना से शनि के कोपों से भी छुटकारा पाया जा सकता है.
आज हम आपको पौष महीने में जीवन को उत्तम बनाने के उपाय बताएंगे.हिन्दू पंचांग के दसवें महीने को पौष कहते हैं. इस महीने में हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है इसलिए ठंडक काफी रहती है. इस महीने में सूर्य अपने विशेष प्रभाव में रहता है. इस महीने में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना ही विशेष फलदायी होती है. मान्यता है कि इस महीने सूर्य ग्यारह हज़ार रश्मियों के साथ व्यक्ति को उर्जा और उत्तम सेहत प्रदान करता है.
'प्रार्थना हो स्वीकार' में आज हम सूर्य का धनु राशि में प्रवेश की बात कर रहे हैं. आज हम आपको बताते हैं कि सूर्य के राशि परिवर्तन का आपकी राशि पर क्या असर पड़ता है. आखिर खरमास(Kharmas) की अवधि में शुभ कार्य पर रोक क्यों लग जाता है. धनु संक्राति(Dhanu Sankranti) में क्यों होती है शुभ कर्मों की मनाही और इस संक्राति का आपके जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ने वाला है.
प्रार्थना हो स्वीकार में आज हम मार्गशीर्ष पूर्णिमा की बात करते हैं. हिंदू धर्म में पूर्णिमा को सबसे पावन माना गया है. जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है. धर्मग्रंथ कहते हैं कि मार्गशीर्ष के महीने में स्वय नारायण का धरती पर अवतरण होता है और माह की पूर्णिमा तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. आज हम आपको बताते हैं कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन आपको किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.