एक ऐसा पीड़ा है कोर्ट कचहरी की, मुकदमेबाजी की हममें से कोई भी ऐसा नहीं होगा जो अदालतों के दर्शन करना चाहता हो. लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी निर्मित हो जाती है कि हमें न चाहते हुए भी अदालतों का रुख करना पड़ता है.काली कोट वाले वकील साहब से केस जितवा देने की मिन्नतें करनी पड़ती है. जज साहब की बार-बार आगे बढ़ती तारीखों से मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है. ज्योतिष शास्त्र मानता है कि जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना का संबंध हमारे ग्रह नक्षत्रों से होता है. कहते हैं कि कुंडली के मंगल की दशा अनुकूल न हो. तो उस व्यक्ति को न्यायालय के चक्कर लगाना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं कि क्यों हमें न्याय के मंदिर में भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है.